सबसे जयादा कसाई मुस्लिम और कसाई खानों के मालिक हिन्दू : असद ईरशाद
सबसे जयादा कसाई मुस्लिम और कसाई खानों के मालिक हिन्दू : असद ईरशाद
| 19 Aug 2016
| 19 Aug 2016
भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी माँसाहार का सेवन करती है...यानि लगभग 75% भारतीय नॉन-वेज खाते है...इस पचहत्तर प्रतिशत मे हिन्दु, मुस्लिम, इसाई, दलित, और नास्तिक सभी आते है...पर माँसाहार के सेवन के लिए सबसे ज्यादा बदनाम मुसलमान है...क्योँ...?
क्योकिँ यहाँ ज्यादातर कसाई मुसलमान होते है...गौमाँस हिँदुओ को छोड़कर बाकी सभी खाते है लेकिन गौमाँस खाने के लिए बदनाम सिर्फ मुसलमान है क्योकि गाय काटने वाले अधिकतर कसाई मुसलमान होते है...गौमाँस को छोड़ दे
तो फिर बीफ(भैँस), मटन और चिकन खाने वालो मे हिंदु भी शामिल है...लेकिन फिर वही बात कि भैँस और बकरा काटने वाले कसाई भी ज्यादातर मुसलमान होते है...इसका मुल कारण ये है कि कसाई एक वंशानुगत पेशा है...कसाई का बेटा कसाई बनता है...जिस तरह दलितो का किसी और पेशे मे घुसने नही दिया जाता
तो फिर बीफ(भैँस), मटन और चिकन खाने वालो मे हिंदु भी शामिल है...लेकिन फिर वही बात कि भैँस और बकरा काटने वाले कसाई भी ज्यादातर मुसलमान होते है...इसका मुल कारण ये है कि कसाई एक वंशानुगत पेशा है...कसाई का बेटा कसाई बनता है...जिस तरह दलितो का किसी और पेशे मे घुसने नही दिया जाता
उसी प्रकार कसाईयो के साथ भी होता है...क्योकि लोग ये जानते है कि कसाई अगर अपना पेशा छोड़ दे तो फिर उनके थाली मे चिकन सुप, मटन कोफ्ता और बीफ फ्राई कैसै सजेगेँ...?कसाई समाज को भी अपने पेशे की वजह से अपमान झेलना पड़ना है...लोग उनसे सट जाए तो राम-राम बोलते है...उन्हेँ देखकर मुँह फेर लेते है...लोग घृणा
करते है उनसे क्योकि वो सभी को निर्दयी नजर आते है...। बुचड़खाना चलाकर या माँस का व्यापार कर के बहुत से लोग लाखपति बन गए हो लेकिन हकीकत ये है कि माँस के व्यापार से जुड़े लोग अधिकांश लोग गरीब होते
करते है उनसे क्योकि वो सभी को निर्दयी नजर आते है...। बुचड़खाना चलाकर या माँस का व्यापार कर के बहुत से लोग लाखपति बन गए हो लेकिन हकीकत ये है कि माँस के व्यापार से जुड़े लोग अधिकांश लोग गरीब होते
है जो अपने मालिको के अंतर्गत काम करते है...उनकी रोजी रोटी उसी से चलती है...वो अचानक से ये पेशा छोड़ नही सकते...और आजकल गौरक्षा के नाम पर होने वाले आतंक को झेलना भी ऐसे ही छोटे व्यापारियो को पड़ता है...। लोग माँस भी इन्ही कसाइयो के वजह से खाते है और कोसते भी इन्हेँ ही है...इस तरह के दोहरे रवैय्ये का प्रतिरोध होना जरुरी है...कसाई समाज को भी दलितो जैसा तरीका अपनाना चाहिए...उन्हेँ कोसने वाले समाज तक माँस की पहुँच बंद करनी चाहिए...आप कसाईयो से घृणा भी करोगे और प्लेट मे मटन भी
चाहिए...ये नही चलने वाला...जो लोग कसाईयो को गौहत्या के झुठे आरोप मे पीटते है उनसे उनके बुढ़े बैल और गाय को खरीदना बंद करना चाहिए...गाय अगर दुध देना बंद कर देती है तो तुरंत उसे कसाईयो के हवाले करने वाले हिँदुओ से गाय खरीदारी बंद करना चाहिए...समाज की इस तरह का दोहरा व्यवहार और उनके प्रति घृणा का भाव रखने का कसाई समाज को खुल कर विरोध करना चाहिए और उन्हेँ ऐसे लोगो का बहिष्कार करना चाहिए जो उनके प्रति इस तरह का दोहरा मापदंड रखती हो...॥
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=1665526890433514&id=100009286577739
Comments
Post a Comment