परशुराम बकलोल थे, त्रेता युग मे थे, द्वापर मे भी थे..
परशुराम बकलोल थे, त्रेता युग मे थे, द्वापर मे भी थे। मजाक बना कर दिया इतिहास का इन पण्डो ने...त्रेतायुग में तो मनुष्य गुफाओं मे रहता था..
परशुराम जी ने 21बार भूमि क्षत्रीय विहीन नही की थी बलकी 21क्रुर राजाऔं को मारा था जो की ऐक क्षेत्रीय राजा थे इस बात का जिक्र हर जगह किया गया है बस कुछ लोगो ने अपना इतिहास मैं महिमा बढाने के लिये इस बिन्दु को बडा किया है । बस इस सै ज्यादा कुछ नही है भगवान परशुराम जी ने खुद बात को अपने पावन मुख सै इस बात को कबूल किया है की मैने ""बसुधा को नृप विहीन कीना ""फिर भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही॥
परशुराम जी ने 21बार भूमि क्षत्रीय विहीन नही की थी बलकी 21क्रुर राजाऔं को मारा था जो की ऐक क्षेत्रीय राजा थे इस बात का जिक्र हर जगह किया गया है बस कुछ लोगो ने अपना इतिहास मैं महिमा बढाने के लिये इस बिन्दु को बडा किया है । बस इस सै ज्यादा कुछ नही है भगवान परशुराम जी ने खुद बात को अपने पावन मुख सै इस बात को कबूल किया है की मैने ""बसुधा को नृप विहीन कीना ""फिर भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही॥
सहसबाहु भुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा
भावार्थ:-अपनी भुजाओं के बल से मैंने पृथ्वी को राजाओं से रहित कर दिया और बहुत बार उसे ब्राह्मणों को दे डाला। हे राजकुमार! सहस्रबाहु की भुजाओं को काटने वाले मेरे इस फरसे को देख!॥मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े। द्विज देवता घरहि के बा़ढ़े॥
अनुचित कहि सब लोग पुकारे। रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे॥4॥
अनुचित कहि सब लोग पुकारे। रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे॥4॥
भावार्थ:-आपको कभी रणधीर बलवान् वीर नहीं मिले हैं। हे ब्राह्मण देवता ! आप घर ही में बड़े हैं। यह सुनकर 'अनुचित है, अनुचित है' कहकर सब लोग पुकार उठे। तब श्री रघुनाथजी ने इशारे से लक्ष्मणजी को रोक दिया """"परशुराम जयंती की बधाई हो सब को """
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