भविष्य पुराण की अचूक भविष्यवाणियाँ:
भविष्य पुराण की अचूक भविष्यवाणियाँ:
कई हजार साल पहले रचे गये इस पुराण के प्रतिसर्ग पर्व में ईसा के २००० वर्षों की अचूक भविष्यवाणियाँ हैं। इसकी विषय सामग्री देखकर मन बेहद आश्चर्य से भर उठता है। भविष्य के गर्भ में दबे घटना्क्रम और राजाओं, सन्तों, महात्माओं और मनीषियों के बारे में इतना सटीक वर्णन अचम्भित कर देता है। इसमें नन्द वंश एवं मौर्य वंश के साथ-साथ शंकराचार्य, तैमूर, बाबर हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, पृथ्वीराज चौहान तथा छत्रपति शिवाजी के बारे में बताया गया है।
सन् 1857 में इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी बनने और आंग्ल भाषा के प्रसार से भारतीय भाषा संस्कृत के विलुप्त होने की भविष्यवाणी भी इस ग्रन्थ में की गयी है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित इस पुराण को इसीलिए भविष्य का दर्पण भी कहा गया है।
रविवारे च सण्डे च फाल्गुनी चैव फरवरी। षष्टीश्च सिस्कटी ज्ञेया तदुदाहार वृद्धिश्म् ।। (भविष्य पुराण प्रतिसर्ग पर्व)
कई हजार साल पहले रचे गये इस पुराण के प्रतिसर्ग पर्व में ईसा के २००० वर्षों की अचूक भविष्यवाणियाँ हैं। इसकी विषय सामग्री देखकर मन बेहद आश्चर्य से भर उठता है। भविष्य के गर्भ में दबे घटना्क्रम और राजाओं, सन्तों, महात्माओं और मनीषियों के बारे में इतना सटीक वर्णन अचम्भित कर देता है। इसमें नन्द वंश एवं मौर्य वंश के साथ-साथ शंकराचार्य, तैमूर, बाबर हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, पृथ्वीराज चौहान तथा छत्रपति शिवाजी के बारे में बताया गया है।
सन् 1857 में इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी बनने और आंग्ल भाषा के प्रसार से भारतीय भाषा संस्कृत के विलुप्त होने की भविष्यवाणी भी इस ग्रन्थ में की गयी है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित इस पुराण को इसीलिए भविष्य का दर्पण भी कहा गया है।
रविवारे च सण्डे च फाल्गुनी चैव फरवरी। षष्टीश्च सिस्कटी ज्ञेया तदुदाहार वृद्धिश्म् ।। (भविष्य पुराण प्रतिसर्ग पर्व)
इस श्लोक में बताया गया है की भविष्य में अर्थात आंग्ल युग में जब संस्कृत भाषा का लोप हो जाएगा। तब रविवार को ‘सण्डे’, फाल्गुन महीने को ‘फरवरी’ और षष्टी को सिक्स कहा जाएगा।
जीसस और इस्लाम की भी है भविष्यवाणी –
पुराण में द्वापर और कलियुग के राजा तथा उनकी भाषाओं के साथ-साथ विक्रम बेताल तथा बेताल पच्चीसी की कथाओं का विवरण भी है। सत्य नारायण की कथा भी इसी पुराण से ली गयी है। इस पुराण में ऐतिहासिक व आधुनिक घटनाओं का सुन्दर मिश्रण किया गया है। ईसा मसीह का जन्म, उनकी भारत-यात्रा, मुहम्मद साहब के अरब में आविर्भाव का अचूक वर्णन किया गया है। पुराण की भाषा यद्यपि ‘कोडेड’ है। यहाँ महर्षि ने मोहम्मद को ‘महामद’ कहा है।
इससे पता चलता है की व्यास जी की दृष्टि वाकई इतनी दिव्य थी कि उन्होंने भविष्य में घटित होने वाली सभी गतिविधियों को उन्होंनें पहले ही इस पुराण में लिपि बद्ध कर लिया।
पुराण में द्वापर और कलियुग के राजा तथा उनकी भाषाओं के साथ-साथ विक्रम बेताल तथा बेताल पच्चीसी की कथाओं का विवरण भी है। सत्य नारायण की कथा भी इसी पुराण से ली गयी है। इस पुराण में ऐतिहासिक व आधुनिक घटनाओं का सुन्दर मिश्रण किया गया है। ईसा मसीह का जन्म, उनकी भारत-यात्रा, मुहम्मद साहब के अरब में आविर्भाव का अचूक वर्णन किया गया है। पुराण की भाषा यद्यपि ‘कोडेड’ है। यहाँ महर्षि ने मोहम्मद को ‘महामद’ कहा है।
इससे पता चलता है की व्यास जी की दृष्टि वाकई इतनी दिव्य थी कि उन्होंने भविष्य में घटित होने वाली सभी गतिविधियों को उन्होंनें पहले ही इस पुराण में लिपि बद्ध कर लिया।
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