छत्रपति शिवाजी की अनेक गुरिल्ला टुकडियों का निर्माण धनगरों ने किया था|

छत्रपति शिवाजी की अनेक गुरिल्ला टुकडियों का निर्माण धनगरों ने किया था| “ छत्रपति शिवाजी महाराज के विश्वासपात्र मावलों अथवा मराठों में अधिकांश धनगर जाति के वीरयोद्वा थे | मावल सेना में घाट, मावल और कोंकण प्रांत के रंगरुट भर्ती किये जाते थे | वहां के हटकर(धनगरों की एक उपजाति) जाति के सिपाही परम विश्वासी और पहाडी लडाई में बडें दक्ष होते थे | वे स्वयं अपने हथियार लाते थे | गोली, बारुद्व,बख्तर आदि लडाई का सामान राज्य देता था| वे लोग विलक्ष्ण लक्ष्य बेधक होते थे | पोशाक में जांघिया, कमरबंध और दुपट्टा रखते थे | मावाल प्रांत वाले प्राणों की बाजी लगाकर लडते थे | महाराणा प्रताप के जिस तरह भील सर्वस्य थे, उसी तरह छत्रपति शिवाजी के लिए धनगर अपना सर्वस्य बलिदान करते थे |”(4) मि0 आर0वी0 रसल लिखते है कि,” मराठा जाति सैंनि सेवा से अस्तित्व में आई है | यह कोई अलग जाति नहीं है | डफ ग्रांट ने लिखा है कि 15वीं 16वीं शताब्दी में बीजापुर और अहमदनगर के मुस्लिम सुलतानों के यहां सात परिवार निंबालकर, घारपुरे, भौंसला सैंनिक सेवा किया करते थे | उस समय वे कोई भी अपने को मराठा नहीं कहलाता था | पहली बार जब शिवाजी के गुरिल्लाओं ने औरंगजेब के विरुद्व लडाइयां लडी, तब यह मराठा नाम प्रकाश में आया”| (5) दरअसल मराठा कोई जाति नहीं बल्कि कुणबी, धनगर व अन्य जातियों का सम्मिलित नाम मराठा है |
“देवगिरी का शेणवां राजवंश धनगरों का था | उसकी स्थापना रामचन्द्र नामक एक धनगर ने 12वीं शताब्दी में की थी | उसी कुल में शिवाजी की माता जीजाबाई का जन्म हुआ था |”(6) इतिहासकार छत्रपति शिवाजी महाराज को कुणबी मानते है | लेकिन अनेक इतिहासकारो ने शोध व अध्ययन से यह सिद्व किया है कि शिवाजी धनगर थे |“दक्षिण में कोल्हापुर के पास जो पठार है, वहां बडी संख्या में धनगर मराठा निवास करते थे | जोकि भेड बकरियां पालते थे | उन्ही धनगरो में से बहुत से कुशल और वीर सैंनिक वंश उत्पन्न हुए| हिन्दू कुलभूषण छत्रपति शिवाजी महाराज धनगर समाज में पैदा हुए थे| “(7) श्री रामचन्द्र ढेरे और श्री सिराजू काटकर जैसे इतिहासकारों ने भी छत्रपति शिवाजी को धनगर सिद्व किया है |”(8)
(3)
छत्रपति शिवाजी महाराज के धनगर सरदार :- निंबाजी पाटोला,बलवंतररव देवकाते, धनोजी शिंगाडा, मणकोजी धनगर, गोदाजी पांढरे, हिरोजी शेलके, व्यंकोजी खांडेकर, भवाणराव देवकाते, येशाजी थेराट, इन्द्राजी गोरडं, दादाजी काकडे, अगदोजी पांढरे,बनाजी बिरजे, संभाजी पांढरे, नाईक जी पांढरे इत्यादि के अतिरिक्त मराठा सेना में देवकाते ,कोलेकर, काले, मासाल, खरात, पाटोले, फणसे, डांगे, बरगे, गरुड, बने, पांढरे, बडंगर, कोकरे,आलेकर, हजारे, शेलके,खताल, टकले, काकडे, हाके, भानुसे, आगलावे, बहादुर राजे, शेंडगे, गोपडे, धायगुडे, मदने, सलगर, माने, बारगल, गाडवे, रुपनबर,सोनवलकर,बाघे, मोकाशी, चोपडे, बाघमोडे, शिन्दे, लाम्भाते, पुगकर, बुले, शिंगाडे, महार्नवर, गलांडे, बाघमारे, बहाड, धाईफोडे, इत्यादि |
इनके अतिरिक्त अनेक मराठा रियासतों इंदौर, ग्वालियर, धार ,देवास, पुणे, कोल्हापुर, सातारा आदि की मराठा सेना में बहुत बडी संख्या में धनगर सैंनिक थे ! “पानीपत सन 1761 ई0 में मराठा सेनापति सदाशिव राव भाउ ने एक सभा के दौरान चिल्लाते हुए कहा – बेकार मराठा सेना में 33% प्रतिशत धनगरों को रखा हुआ है | मल्हार राव होलकर जी आप भी तो एक धनगर हो | सूरजमल जाट एक जमींदार है | गंवार तथा जमींदार विकसित युद्वकला से अनभिग है |”(11 इससे यही सिद्व होता है कि मराठा सेना में बडी संख्या में धनगर थे | पानीपत में सदाशिव राव भाउ की धर्मपत्नी पार्वती बाई और अन्य महिलाओं की सुरक्षा का दायितव साहसी, फुर्तीले व चालाक पांच सौ धनगरों को सौंपा गया था |
मराठा शब्द का उल्लेख् करऐ हुए जैनिज्मस 598 फोलो एरस में लिखा है, “मराठा
शब्द का प्राचीन प्राकृत शब्द महारट्टा है | यह एक भौगोलिक नाम (पद) है, जोकि महाराष्ट् के सभी लोगों के लिए प्रयोग होता था | लेकिन बाद में यह शब्द सभी योद्वाओं के लिए महाराष्ट् में प्रयोग होने लगा | राजा शिवाजी दखिन के महान योद्वा ने, वहां के सभी लोगों को बिना क्षेत्र और जाति के शत्रुओं के विरुद्व लडने का अवसर दिया | इसलिए प्रत्येक एक मराठा था | वे सारे सैंनिक आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे | इसलिए वे सभी मराठे थे | आज से लगभग 80 वर्ष स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट यदि आप देखे तो उसमे आपको लिखा मिल जाएगा | मराठा सुतार, मराठा सुनार, पारिट मराठा, लौहार मराठा, कुणबी मराठा, धनगर मराठा इत्यादि|”
वास्तव मराठा शब्द स्वाभिमान व वीरता के प्रतीक के रुप में प्रयोग किया जाता था | मराठा प्रदेश के रहने वाले सभी लोग मराठा कहलाते थे | मुस्लिम बादशाहो,सुल्तानो व नवाबों के अत्याचारों से त्रस्त जनता शिवाजी के नेतृत्व में एकत्रित हो गयी और एक जन आन्दोलन खडा हो गया | उनमें कुणबी, धनगर, कोली, कायस्थ, ब्राह्मण इत्यादि जातियों का नाम उल्लेखनीय हैं | उन सभी को शिवाजी महाराज ने एक लडाकू योद्वा बना दिया |
मधुसूदन राव होलकर
लेखक/संपादक/इतिहासकार
मं0नं0-28, शकरपुर खास,
दिल्ली-110092
मो0-09650126820

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