कलियुग के लक्षण
मैत्रेय ने पूछा, "गुरुदेव, आपने कहा था कि सतयुग में ब्रह्मा सृष्टि रचते हैं और कलियुग में संहार करते हैं। मैं सर्वप्रथम कलियुग का वृत्तांत सुनना चाहता हूं, इसके स्वरूप का विवेचन कीजिए।"
मुनि पराशर थोड़ी देर के लिए विचारमग्न हुए, फिर बोले, "मैत्रेय, कलियुग में वर्णाश्रम धर्मो का याने ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास का पालन न होगा। विधिपूर्वक धर्मबद्ध विवाह न होगे। गुरु और शिष्य का समबंध टूट जाएगा। दाम्पत्य जीवन में दरारें पड़ेंगी।
पराशर के अनुसार, सामाजिक दशा बद से बदतर होती जाएगी। जाति-पांति के भेद-भाव मिट जाएंगे। दूध देनेवाली गायों का ही संरक्षण होगा।
ऐसी स्थिति में राजा-प्रजा की बात क्या होगी, सुन लो, "कलियुग की अपार महिमा यह है कि राजा कर वसूली के बहाने प्रजा को लूटेंगे। मुसीबत में फंसी प्रजा की रक्षा नहीं करेंगे। गुंडे और चरित्रहीन लोगों का राज्य होगा। विद्वान पुरुष और सज्जन धनहीन होने के कारण सेवक माने जाएंगे। वणिक वर्ग कृषि और वाणिज्य त्याग यकर शिल्पकारी होंगे। वे भी शूद्र वृत्ति से अपना भरण-पोषण करेंगे। पाखंडी लोग साधु-संन्यासी के वेष में भिक्षाटन करेंगे। वे समाज द्वारा सम्मानित होकर सर्वत्र पाखंड फैलाएंगे। राजा के द्वारा कर बढ़ाया जाएगा। कर-भार और अकाल से पीड़ित होकर लोग ऐसे देशों की शरण लेंगे जहां गेहूं और ज्वार ज्यादा पैदा होता है।"
स्त्रियां अपने केश-विन्यास पर अभिमान करेंगी। विविध प्रकार के प्रसाधनों से अपने को अलंकृत करेंगी। रत्न, मणि, मानिक, स्वर्ण और चांदी के बिना अपने बालों को संवारेंगी। दरिद्र पति को त्याग देंगी। अधिक-से-अधिक धन देनेवाले पुरुष को वे अपना पति मानेंगी। वही उनका स्वामी होगा। कुलीनता पर नारी-पुरुष का संबंध नहीं जुड़ेगा। स्त्रियों में स्वेच्छाचारिता बढ़ जाएगी। वे सुंदर पुरुष की कामना करेंगी। भोग-विलास को अपने जीवन का लक्ष्य मानेंगी।"
"वत्स! कलियुग का महत्व कहां तक कहा जाए। परिवार में माता-पिता, भाई-बंधु, गुरुजनों के स्थान पर सास-सुसर, पत्नी और साले का प्रभुत्व होगा। स्वाध्याय समाप्त होगा। धर्म टिमटिमाते दीप के समान अल्प मात्रा में रह जाएगा। एक रहस्यपूर्ण बात सुन लो-इन सारी विकृतियों के बावजूद कलियुग की अपनी विशेष महिमा है। कृत युग में जहां जप, तप, व्रत, उपवास, तीर्थाटन, दान-पुण्य, सदाचरण और सत्यकर्मो से जो पुण्य प्राप्त होता था, वह कलियुग में थोड़े से प्रयत्न से ही संभव होगा।"
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