Darius the Great (दारा महान)
हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड): ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330:मध्यपूर्व में और तुर्की के तट पर यूनानी शहरों से लेकर कैस्पियन सागर तक का विशाल साम्राज्य उस समय तक विश्व में शायद ही किसी ने खड़ा किया हो।सम्राट अशोक के बाद वह विश्व का पहला सम्राट रहा होगा जिसे महान की उपाधि दी गई होगी - कुरोश महान(Cyrus the Great)।पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवं बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश ने यहूदियों को धार्मिक स्वतंत्रता दी।
दारा महान:
इस वंश के संस्थापक साइरस ने 551-530 के बीच अपना साम्राज्य पेशावर (अब पाकिस्तान में) से लेकर ग्रीस तक फैला लिया था।इसी कड़ी में दारा प्रथम का नाम भी आता है, जो 'अख़ामनी वंश' के संस्थापक साइरस प्रथम जितना ही महान, वीर और महत्वाकांक्षी नरेश था। समझा जाता है कि उसने साइरस के अधीन भी काम किया था। दारा प्रथम इस राजवंश का तीसरा शासक था। फ़ारस के इतिहास में दो साइरस और तीन डेरियस हुए हैंI डेरियस का पिता 'विष्तास्पह्य' भी 'अख़ामनी राजवंश' का क्षत्रप था।डेरियस प्रथम ने साइरस महान की आन, बान और शान को पूरी तरह से कायम रखा था, इसीलिए उसके जीवन काल में ही उसे भी "डेरियस महान" कहा जाने लगा था। 'अख़ामनी वंश' की राजधानी पर्सेपोलिस के शिलालेखों पर ऐसा ही दर्ज है। पुरातत्व पर्यटन के लिए मशहूर पर्सेपोलिस शहर डेरियस की राजधानी हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि यह शहर उसने ही बसाया था।
इस वंश के संस्थापक साइरस ने 551-530 के बीच अपना साम्राज्य पेशावर (अब पाकिस्तान में) से लेकर ग्रीस तक फैला लिया था।इसी कड़ी में दारा प्रथम का नाम भी आता है, जो 'अख़ामनी वंश' के संस्थापक साइरस प्रथम जितना ही महान, वीर और महत्वाकांक्षी नरेश था। समझा जाता है कि उसने साइरस के अधीन भी काम किया था। दारा प्रथम इस राजवंश का तीसरा शासक था। फ़ारस के इतिहास में दो साइरस और तीन डेरियस हुए हैंI डेरियस का पिता 'विष्तास्पह्य' भी 'अख़ामनी राजवंश' का क्षत्रप था।डेरियस प्रथम ने साइरस महान की आन, बान और शान को पूरी तरह से कायम रखा था, इसीलिए उसके जीवन काल में ही उसे भी "डेरियस महान" कहा जाने लगा था। 'अख़ामनी वंश' की राजधानी पर्सेपोलिस के शिलालेखों पर ऐसा ही दर्ज है। पुरातत्व पर्यटन के लिए मशहूर पर्सेपोलिस शहर डेरियस की राजधानी हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि यह शहर उसने ही बसाया था।
गौरवशाली अतीत
इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है।
इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है।
मीदि/मेड(Old Persian Māda derived from Madeans) आर्य थे। प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोदोतुस ने उन्हें आर्यन कहा है और उनकी छै जातियों में से एक जाति ब्राहमणों की थी जिसे मग ब्राहमण या मागी भी कहा गया है,जो मारकड का अपभ्रंश है। मेड आर्य अजमीढ़ साम्राज्य जिसे एक्मेनिद एम्पायर कहा जाता हैI मीदि आर्य धोती पहनते थे जबकि उन के सहयोगी पारसी मेड आर्य कुर्ता पजामा पहनते थे।
Comments
Post a Comment