बंजारा(रोमा): विश्व में संगीत और नृत्य के निर्माता(Banjara/Roma:The creators of the Dance and Music in the world).बंजारा साम्राज्य(About Banjara Empire).



बंजारा(रोमा): विश्व में संगीत और नृत्य के निर्माता(Banjara/Roma:The creators of the Dance and Music in the world).बंजारा साम्राज्य(About Banjara Empire).
बंजारा या 'खानाबदोश' (Nomadic people) मानवों का ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर भ्रमणशील रहता है। एक आकलन के अनुसार विश्व में कोई ३-४ करोड़ बंजारे हैं। कई बंजारा समाजों ने बड़े-बड़े साम्राज्य तक स्थापित करने में सफलता पायी।
बंजारा साम्राज्य
बंजारा साम्राज्य उन साम्राज्यों को कहा जाता है जो धनुषधारी, अश्वसवार, यूरेशियाई बंजारों द्वारा खड़े किये गये। ऐसे साम्राज्य बहुत प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल के आरम्भ तक देखे जा सकते हैं।
कुछ प्रमुख बंजारा साम्राज्य
कुछ महत्वपूर्ण बंजारा साम्राज्य इस प्रकार थे:
1. शियोंगनु साम्राज्य
2. हूणी साम्राज्य
3. रोऊरान साम्राज्य
4. गोएकतुर्क
5. उइग़ुर साम्राज्य
6. मंगोल साम्राज्य
7. तैमूरी साम्राज्य
8. ज़ुन्गारी साम्राज्य
बंजारा मानवों का ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर भ्रमनशील रहता है। इनकी संख्या 1901 ई. की भारतीय जनगणना में 7,65,861 थी। इनका व्यवसाय रेलवे के चलने से कम हो गया है और अब ये मिश्रित जाति हो गये हैं। ये लोग अपना जन्म सम्बन्ध उत्तर भारत के ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय वर्ण से जोड़ते हैं। दक्षिण में आज भी ये अपने प्राचीन विश्वासों एवं रिवाजों पर चलते देखे जाते हैं, जो द्रविड़वर्ग से मिलते-जुलते हैं।
बंजारों का धर्म जादूगरी है और ये गुरु को मानते हैं। इनका पुरोहित भगत कहलाता है। सभी बीमारियों का कारण इनमें भूत-प्रेत की बाधा, जादू-टोना आदि माना जाता है। इनके देवी-देवताओं की लम्बी तालिका में प्रथम स्थान मरियाई या महाकाली का है (मातृदेवी का विकराल रूप)। यह देवी भगत के शरीर में उतरती है और फिर वह चमत्कार दिखा सकता है। अन्य हैं- गुरु नानक, बालाजी या कृष्ण का बालरूप, तुलजा भवानी (दक्षिण भारत की प्रसिद्ध तुलजापुर की भवानी माता), शिव भैया, सती, मिट्ठू भूकिया आदि।
मध्य भारत के बंजारों में एक विचित्र वृषपूजा का भी प्रचार है। इस जन्तु को 'हतादिया' (अवध्य) तथा बालाजी का सेवक मानकर पूजते हैं, क्योंकि बैलों का कारवाँ ही इनके व्यवसाय का मुख्य सहारा होता है। लाख-लाख बैलों की पीठ पर बोरियाँ लादकर चलने वाले 'लक्खी बंजारे' कहलाते थे। छत्तीसगढ़ के बंजारे 'बंजारा' देवी की पूजा करते हैं, जो इस जाति की मातृशक्ति की द्योतक हैं। सामान्यता ये लोग हिन्दुओं के सभी देवताओं की आराधना करते हैं।

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