मुस्लिम हमलावरों ने जब हमला किया तब उन्होंने बची हुई ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी तबाह कर दिया
मुस्लिम हमलावरों ने जब हमला किया तब उन्होंने बची हुई ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी तबाह कर दिया और ऐसे समय में महारो को काम मिलना मुस्किल हुआ तब उन्होंने म्रुताहार शुरू किया इस के लिए तब की तात्कालिक परिस्थिति जिम्मेदार थीIजब सरे समाज गरीबी की खाई में जाने लगते है तब समाज बहुत अधिक कंजूस हो जाता है और न्याय के साथ आनाज का बंटवारा नही करता यह एक सच्चाई हैIइस समय धर्म एक सर्वाच्च संस्था के रूप में उभर रहा थाI पैठण, काशी सभी जगह ब्राह्मण सभा ने पूरी तरह अपरहण कर के स्वार्थ आधारित धर्म प्रथा की नीव रखी,जिस धर्म प्रथा का मूल धर्म में कोई जगह नहीं थी वह लादनी शुरू की ,ब्राह्मण का नाम ही धरम है यह प्रथा भी इस काल में ही शुरू हुईI इस समय पूरी राजसत्ता मुस्लिम शासकों की नौकर बन गई थी क्या सरदार ,क्या पाटिल ,सरंजामे,देशमुख सब में जब अपने स्वार्थ को प्राप्तः करने की होड़ लग गई तो ब्राह्मण भी क्यों पीछे रहता? इस समय समाज को कुछ एक दूसरे से लेना -देना नहीं रहा ,जहांगीर ,आदिलशाही या निज़ामशाही इन को दुनिया से कोई मतलब नहीं थाI उनका पराक्रम अपने लोगो को लुटाने में सहभागी बनाI पर इस बात के लिए उन्हें अकेले दोष देते नहीं आताI
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