चक्रवर्ती सम्राट मौर्यकुलभूषण धनगर पुत्र चन्द्रगुप्त मौर्य मूल गाव
पिप्पलि वन:
पिप्पलि वन (ancient
republic of Pippalivana , located between Rummindei, in the Nepalese Tarai, and Kasia in the Gorakhpur district of Uttar Pradesh.
चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का मूल गाव पिप्पलि वन था. उनके पिता धनगर थे और पिप्पलि वन गॉव के मुखिया थे. ये गाव भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित
आज के गोरखपुर शहर से नजदीक था. ये गाव जिधर स्थित था उधर हाटक नामक एक देश का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है.
हाटक नामक एक देश का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है.महाभारत काल में इस देश पर उत्तर दिशा की दिग्विजय के प्रसंग में अर्जुन ने विजय प्राप्त की थी-"तं जित्वा हाटकं नाम देशं गुह्मकरक्षितम्, पाकशासनिरव्यग्रः सहसैन्यः सभसदत्।"
सम्भव है कि यह स्थान महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' की 'अलका' के निकट ही स्थित रहा होगा। मानसरोवर यहाँ से समीप ही स्थित था.
According to
Swami Dayanand Saraswati and Pargiter the original home of the Aryans was
Tibet. This view has been expounded by them in the Satyarth Prakash and Ancient
Indian Historical Traditions respectively. According to them Aryans worshipped
the sun and fire as it was extremely cold in Tibet. All the trees and animals
mentioned in the Rig Veda were found in Tibet.
आज भी हिमालय की ईस पहाड़ी मे 'हाटी,हट्टे,हट्टी' जनसमुदाय का अस्तित्व पाया जाता है. श्री. पवन बक्षी ने 'हाटी जनसमुदाय' नाम की इक किताब लिखी है.
ये हाटी जनसमुदाय पशुपालक है. यहा से नजदीक ही नेपाल मे काठमांडू के पास बारा
ज्योतिर्लिंग मे से इक पशुपतिनाथ
मन्दिर है. स्वामी दयानन्द सरस्वती जैसे कुछ विद्वानों के अनुसार तिबेट ही आर्यों का
मूल निवास स्थान है. उनके अनुसार तिबेट की कड़ी ठंड से बचने के लिये आर्यों ने सूर्य
और अग्नि की उपासना कि थी.
According to Swami Dayanand Saraswati and Pargiter the
original home of the Aryans was Tibet. This view has been expounded by them in
the Satyarth Prakash and Ancient Indian Historical Traditions respectively.
According to them Aryans worshipped the sun and fire as it was extremely cold
in Tibet. All the trees and animals mentioned in the Rig Veda were found in
Tibet.
पिप्पलि वन के लोगों की मुख्य आजीविका खेती, शिकार और पशुपालन पर निर्भर थी। साधारण वेष-भूषा वाले ये धनगर लोग ऊंचे कद के बलिष्ठ और शक्तिशाली थे। अपने मुखिया के सम्मान में प्राण अर्पण
करना वे अपने लिए बड़े गौरव और सम्मान की बात मानते थे। अपनी प्रसन्नता और हर्ष को
वे सभी लोग संयुक्त होकर ‘उत्सव’ के रूप में मनाते थे।
हट्टी लोग प्राचीन काल से सूर्य और अग्नि उपासक है. प्रभु श्रीराम के दादाजी का नाम आजपति था. ईजिप्त नाम आजपति से निकला है. आजपति
का संस्कृत मे अर्थ होता है मेषपाल (Shepherd). वैदिक अग्नि देवता का वाहन मेष था. सूर्य उपासकों को सूर्यवंशी क्षत्रिय कहा गया. चन्द्रगुप्त मौर्य सूर्यवंशी क्षत्रिय
धनगर थे.
चंद्रगुप्त एक कुशल योद्धा, सेनानायक तथा महान विजेता ही नहीं था, वरन एक योग्य शासक भी था। इतने बड़े साम्राज्य की शासन - व्यवस्था कोई सरल कार्य नहीं था। चन्द्र गुप्त एक कुलीन क्षत्रिय धनगर के बेटे थे. चन्द्रगुप्त में राजा बनने के स्वाभाविक गुण थे 'इसी योग्यता को देखते हुए चाणक्य ने उसे अपना शिष्य बना लिया ,एवं एक सबल रास्ट्र की नीव डाली जो की आज तक एक आदर्श है ।
धनगर यानी कि (Shepherds) ने भारत,
पश्चिमी यूरेशिया/West Euresia/Asia Minor
(ईजिप्त, इस्राईल और तुर्की)
और सीथिया/Scythia (Central Asia i.e. Iran,Irak,Suadi
Arebia,Afganisthan) पर साम्राज्य स्थापित किया. हट्टि-हिटाइट, पुरु-पर्शिया, गुर्जर/Gurjar:
जॉर्जिया/Georgia, गुर्जरीस्तान ,बारगळ: बल्गेरिया इत्यादि नाम ईन आद्य -भारतीय धनगर जाती से निकले है.
हट्टी/ हटकर/गुर्जर/पाल/गड़रिया,
कुरु/कुरुबा,
अभिरा/अहिर
ये धनगर विश्व में वैदिक सभ्यता के निर्माता है. इनको आर्य- क्षत्रिय भी कहा जाता है. प्राचीन भारतवर्ष
में इनके विभिन्न देशो में साम्राज्य और संस्कृति के सबूत
पाए गए है.
भारत की मौजूदा आर्य क्षत्रिय जातियों में हट्टी/ गुर्जर और अभिरा/अहिर सबसे पुराने क्षत्रिय हैं। जब तक जाट, राजपूत, और मराठा नामों की सृष्टि भी नहीं हुई थी, हट्टी और अहीरों का अभ्युदय हो चुका था।
गुर्जर/ हटकर भी प्राचीन काल से
सूर्य उपासक है. हटकर /गुर्जरों का उदय तुर्की मे हट्टी लोगों से हो गया.
महाराष्ट्र
के धनगर/Shepherds (हटकर, मराठा धनगर)
में पाया गया कुशवाह- मौर्य (मोरे)- कोळेकर वंश.
वंश: सूर्यवंशी (कुशवाह- कोळेकर)
कुल: कुश(राम के बेटे कुश)
गोत्र:
माण्डव्य
Surnames:-
Murde, Sose, Botyate, Didwagh, Aaglave, Karpe,
Bansode, Cavdhare, Aanavale, Raut, Kundlik, Bhagwat.
हाटक (सध्याचे तिबेट,मानससरोवर) देशामध्ये हाटी जनसमुदायाचे लोक अजून पण वास्तव्यास आहेत आणि त्या परिसरात नेपाल प्रांतामध्ये पशुपातीनाथाचे मंदिरच अस्तित्वात आहे.
हिमालयाच्या दक्षिण उतारावर तिबेट आणि भारताच्या मध्यभागी वसलेले एकमेव हिंदु राष्ट्र म्हणजे नेपाळ. काठमांडू शहरातील बागमती नदीकिनारी बारा ज्योतिलिर्ंगापैकी एक 'पशुपतीनाथ' ज्योतिलिर्ंग आहे. बहुतेक याच 'हाटक' देशात पशुपालकांच्या प्राचीन वसतीस्थान असावे.काही अभ्यासकांनी तिबेटला आर्यांचे मूळ वसतीस्थान म्हटले आहे. कारण आर्यांचा मुख्य व्यवसाय हा पशुपालकच होता.
हाटी जनसमुदाय- त्याच भागात हिमाचलप्रदेशातील गीरीपार पहाडी भागामध्ये 'हाटी,हट्टे,हट्टी' जनसमूहाचे लोक राहत असल्याचे पुरावे मिळाले आहेत. श्री. पवन बक्षी यांनी 'हाटी जनसमुदाय' नावाचे एक पुस्तक लिहिले आहे. त्यामध्ये या जनसमूहाबद्दल सर्व माहिती प्रकाशित करण्यात आली आहे. विशेष म्हणजे महाभारतात उल्लेख असलेल्या 'हाटक' नावाचा देशाच्या ठिकाणीच हे लोक फार वर्षांपासून वास्तव्य करीत आहेत. हे लोक पशुपालक असून स्वतःला पांडवांचे वंशज मानतात.
हाटक (अटक)- अंगुत्तरनिकाय या बौद्ध ग्रंथात जी सोळा महाजन पदांची नावे दिली आहेत, त्यापैकी कम्भोज या राज्याची राजधानी 'हाटक' असल्याचे उल्लेख आहेत. श्री सी. वी. लॉ यांच्या मते हाटक म्हणजे वर्तमान सप्तसिंधूच्या परिसरातील अटक (पश्चिम पाकिस्तान) येथील शहर असावे. विशेष म्हणजे याच परिसरात प्राचीन काळापासून जो पश्तुन नावाचा लढाऊ पशुपालक लोकांचा जनसमूह राहत आहे. त्यापैकीच 'खट्टक, खत्तक' जनसमूहाचे लोक आहेत.
या सर्व माहितीवरून असे स्पष्ट होते कि, प्राचीन काळात पश्चिमेकडील हाटक (सध्याचे अटक) ठिकाणी खट्टक या पश्तुन जनसमूहाचे लोक अजून हि आहेत आणि त्याच ठिकाणी सप्तसिंधूच्या परिसरात पशुपतीची मूर्ती उत्खननात मिळाली आहे. तर पूर्वेकडील हाटक (सध्याचे तिबेट,मानससरोवर) देशामध्ये हाटी जनसमुदायाचे लोक अजून पण वास्तव्यास आहेत आणि त्या परिसरात नेपाल प्रांतामध्ये पशुपातीनाथाचे मंदिरच अस्तित्वात आहे.
धनगर समाज आणि मराठा समाजात फर्क आहे
ReplyDeletebarobar ahe
ReplyDeleteजय माँ अहिल्याबाई🙏🙏
ReplyDeleteArya Pashupalak the ,
ReplyDeleteAhir , Gadariya , Gujar , Pashupalak Kshatriya hai, Ye Pratham Arya Pashupalak Kshatriya hai , Enme Suryavanshi , Chandravanshi , Agnivanshi ye Sabhi hai,
Pashupalak , Mahipalak , Prajapalak va Satyapalak, ye charo Kshatriya hote hai,
Arya Samrat Chandra Gupta Maurya me ye charo Gun the , Chandra Gupta Maurya Shepherd Kshatriya Boy the yani pratham Pashupalak , Fir Prathvi Palak Fir Prajapalak Fir Satyapalak hue esliye Chandra Gupta Maurya Mahaan Sasak hue ,
Ahir , Gadariya , Gujar ye aaj bhi Krashak Pashupalak Kshatriya hai,
Lekhak :- R C Singh .
Jay Hind
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