विश्व के दो महान तत्वज्ञानी शासक: राजा भोज और पुण्यश्लोक राजमाता अहिल्यादेवी होळकर
परमार भोज परमार वंश के नवें राजा थे। परमार (पंवार (हिन्दी)) वंशीय राजाओं ने मालवा की राजधानी धारानगरी (धार) से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की जिससे सिद्ध होता है कि उनमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उनके जीवन का अधिकांश युद्धक्षेत्र में बीता तथापि उनने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। उसने मालव के नगरों व ग्रामों में बहुत से मंदिर बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है। वह स्वयं बहुत विद्वान था और कहा जाता है कि उसने धर्म, खगोल विद्या, कला, कोशरचना, भवननिर्माण, काव्य, औषधशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं जो अब भी वर्तमान हैं। इसके समय में कवियों को राज्य से आश्रय मिला था। इसने सन् 1000 ई. से 1055 ई. तक राज्य किया।
भोज बहुत बड़े वीर, प्रतापी, पंडित और गुणग्राही थे। इन्होंने अनेक देशों पर विजय प्राप्त की थी और कई विषयों के अनेक ग्रंथों का निर्माण किया था। ये बहुत अच्छे कवि, दार्शनिक और ज्योतिषी थे।सरस्वतीकंठाभरण, शृंगारमंजरी, चंपूरामायण, चारुचर्या, तत्वप्रकाश, व्यवहारसमुच्चय आदि अनेक ग्रंथ इनके लिखे हुए बतलाए जाते हैं। इनकी सभा सदा बड़े बड़े पंडितों से सुशोभित रहती थी। इनकी पत्नी का नाम लीलावती था जो बहुत बड़ी विदुषी थी।
जब भोज जीवित थे तो कहा जाता था-
अद्य
धारा सदाधारा
सदालम्बा सरस्वती।
पण्डिता
मण्डिताः सर्वे
भोजराजे भुवि
स्थिते॥
(आज जब भोजराज धरती पर स्थित हैं तो धारा नगरी सदाधारा (अच्छे आधार वाली) है; सरस्वती को सदा आलम्ब मिला हुआ है; सभी पंडित आदृत हैं।)
जब उनका देहान्त हुआ तो कहा गया -
अद्य
धारा निराधारा
निरालंबा सरस्वती।
पण्डिताः
खण्डिताः: सर्वे
भोजराजे दिवं
गते ॥
(आज भोजराज के दिवंगत हो जाने से धारा नगरी निराधार हो गयी है ;
सरस्वती बिना आलम्ब की हो गयी हैं और सभी पंडित खंडित हैं।)
"अहिल्याबाई एक अतिशय योग्य शासक व संघटक होत्या. मध्य भारताच्या इंदूरमधील त्याचा राज्यकाळ सुमारे तीस वर्षे चालला. हा एक स्वप्नवत काळ होता. या काळात कायद्याचे राज्य होते आणि त्यामुळे त्या काळात जनतेची भरभराट झाली. अहिल्यादेवी होळकरांना जीवनकालात तर सन्मान मिळालाच पण मृत्यूनंतरही लोकांनी त्यांना संताचा दर्जा दिला."
"ज्याप्रमाणे सम्राट अशोक हा पुरुषांमधला उत्तम राजा तसेच अहिल्याबाई ही स्त्रियांमधील उत्तम राज्यकर्ती होती. जिच्या चांगल्या बुद्धीचे, चांगुलपणाचे व गुणांचे उदाहरण देता येऊ शकते. अशी अहिल्याबाई ही एक महान स्त्री होती." "आपल्या असामान्य कर्तृत्वाने अहिल्याबाईंनी रयतेचे मन जिंकले. नाना फडणवीसांसकट अनेक उच्च धुरीण आणि माळव्यातील लोकांनुसार ती एक दिव्य अवतार होती. ती आजतागायतची सर्वांत शुद्ध व उदाहरण देण्याजोगी शासक होती. अलीकडच्या काळातील चरित्रकार अहिल्याबाईंना 'तत्त्वज्ञानी राणी' असे संबोधतात. याचा संदर्भ बहुतेक 'तत्त्वज्ञानी राजा' भोज याच्याशी असावा.<refजॉन किय, इंडिया: अ हिस्टोरी , पान ४०७ , गोर्डन एस , दि मराठाज पान १६२</ref>
"The Great Maratha Leady" who affords
the noblest example of wisdom, goodness and virtue. One English writer quoted
that, "Ashoka the Great" is among the male sovereigns & Ahilya
Bai Holkar is among the female sovereigns (Greatest in status or authority or power;
"a supreme tribunal"
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