DNA Report and Journey of Aryans (आर्यों का प्रवास और डी एन ए रिपोर्ट)
प्रसिद्ध विद्वान लोकमान्य टिळक के अनुसार आर्य उत्तर
ध्रुव (North Pole) से भारत आए थेI वैदिक और ईरानी(पारसी) अवेस्ता की ऋचाओं के अनुसार
आर्यों का प्रवास उत्तर ध्रुव से पश्चिम एशिया से भारत पहुंचे थेI आर्यों की कुछ शाखा
शाखायें पश्चिम एशिया से यूरोप तक पहुंची थीI पश्चिम एशिया और यूरोप के क्षेत्र को
मिलाकर पश्चिम यूरेशिया नाम हैI
धनगर, चित्पावन ब्राह्मण और कायस्थ के डी एन ए रिपोर्ट में पश्चिम यूरेशियन महिलाओं(West Eurasian Females) का प्रमाण ज्यादा हैI
जब आर्य पश्चिम एशिया पहुंचे तब भारतीय धनगर(दक्षिण एशियाइ पुरुष/South Asian
males) पश्चिम एशिया पर राज्य करते थेI उन्होंने आर्य महिलाओं (पश्चिम यूरेशियन महिलाओं) से शादी की और आर्यों की वैदिक सभ्यता
का स्विकार कियाI
धनगर डी एन ए
रिपोर्ट में (दक्षिण एशियाइ पुरुष/South
Asian males) और पश्चिम यूरेशियन महिलाओं(West Eurasian Females) का प्रमाण ज्यादा
हैI
चित्पावन ब्राह्मण और कायस्थ के डी एन ए
रिपोर्ट में दक्षिण एशियाइ पुरुष/South
Asian males) और पश्चिम यूरेशियन पुरुष दोनो का भी प्रमाण ज्यादा हैI इसका मतलब धनगर
में से ही कुछ लोग ब्राह्मण भी बन गये हैI
देशस्थ ब्राह्मण के डी एन ए
रिपोर्ट में मध्य एशिया के पुरुष
(Scythic/Central Asian males) और दक्षिण एशियाइ महिला (mtDNA M related to paleolithic
females) का ज्यादा प्रमाण ऐसा विरोधाभास और
पश्चिम यूरेशियन महिलाओं का भी प्रमाण हैI
इससे साबित होता है की देशस्थ ब्राह्मण
तत्कालिन समाजव्यवस्था मे सामान्य लोग थेI यूरेशियन
महिलाओं का प्रमाण उनकी सामाजिक गतिशीलता (Social
mobility) सिद्ध करता हैI
व्यक्तियों, परिवारों या अन्य श्रेणी के लोगों का समाज के एक वर्ग (strata) से दूसरे वर्ग में गति सामाजिक गतिशीलता (Social mobility) कहलाती है। इस गति के परिणामस्वरूप उस समाज में उस व्यक्ति या परिवार की दूसरों के सापेक्ष सामाजिक स्थिति (स्टैटस) बदल जाता है।
सामाजिक गतिशीलता से अभिप्राय व्यक्ति का एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने से होता है।
मराठा पुरुषो के डी एन
ए रिपोर्ट में पश्चिम यूरेशियन पुरुष(Anatolian J2 lineage
related to neolithic Turkish farmers/ अनतोलियन/तुर्क
किसान) और दक्षिण एशियाइ महिला (mtDNA M related to paleolithic
females) प्रमाण ज्यादा हैI
आर्य मूलतः भारतीय ही थेI उत्तर ध्रुव पर ब्रह्माजी के मार्गदर्शन से वेद का अभ्यास करने के लिये गये थेI हजारो लाखों साल उत्तर ध्रुव पर निवास के कारण आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genetic Mutation) हुआ थाI विश्व का पहला मानव हिमालय की गोद में ही निर्माण हुआ हैI
उस समय उत्तर ध्रुव वेदो के अभ्यास का प्रमुख केन्द्र थाI
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