मंगोल-द्राविड़ियन लोग और आर्य –द्राविड़ियन लोग
यह प्रजाति पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में पाई जाती है। बंगाली ब्राह्मण और बंगाली कायस्थ इसके मुख्य प्रतिनिधि हैं। यह प्रजाति द्राविड़ और मंगोल तत्त्वों से बनी है। उच्च वर्गों में भारतीय आर्य लोगों के रक्त का अंश भी देखा जाता है। इन लोगों का कद मध्यम और कभी-कभी छोटा होता है। इनका सिर चौड़ा और गोल, रंग काला, बाल घने और नाक चौड़ी होती है।
(आर्य नाम का कोई भी वंश नहीं थाI ब्राह्मण समाज के डीएनए भिल्ल समाज में भी है। आर्य कहा तो लोगों को जल्दी समझ आता है की उच्च वर्गों के डीएनए हैं,इसलिए आर्य शब्द का इस्तेमाल किया है।आर्य का मतलब है सभ्य मनुष्य फिर वो कोई भी हो)
आर्य द्राविड़ियन
यह प्रजाति आर्य और द्राविड़ लोगों के सम्मिश्रण से बनी है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और राजस्थान के कुछ भागों में फैली हुई है। उच्च कुलों में हिन्दुस्तानी ब्राह्मण और निम्न कुलों में हरिजन इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। इन लोगों का सिर प्राय: लम्बा या मध्यम आकार का होता है। कद कुछ छोटा, नाक मध्यम से चौड़ी और रंग हल्का भूरा, गेहुंआ होता है।
यह प्रजाति आर्य और द्राविड़ लोगों के सम्मिश्रण से बनी है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और राजस्थान के कुछ भागों में फैली हुई है। उच्च कुलों में हिन्दुस्तानी ब्राह्मण और निम्न कुलों में हरिजन इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। इन लोगों का सिर प्राय: लम्बा या मध्यम आकार का होता है। कद कुछ छोटा, नाक मध्यम से चौड़ी और रंग हल्का भूरा, गेहुंआ होता है।
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