चन्देल राजवंश. Khajuraho Temple,India(UNISCO,World Heritage site)
चन्देल वंश गोंड जनजातीय मूल का राजपूत वंश था, जिसने उत्तर-मध्य भारत के बुंदेलखंड पर कुछ शताब्दियों तक शासन किया।
गोंड (जनजाति), भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। गोंड भारत के कटि प्रदेश - विंध्यपर्वत, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहनेवाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों और जंगलों में फैल गई। आज भी मोदियाल गोंड जैसे समूह हैं जो जंगलों में प्राय: नंगे घूमते और अपनी जीविका के लिये शिकार तथा वन्य फल मूल पर निर्भर हैं। गोंडों की जातीय भाषा गोंडी है जो द्रविड़ परिवार की है और तेलुगु, कन्नड़, तमिल आदि से संबन्धित है।
प्रतिहारों के पतन के साथ ही चंदेल नौवीं शताब्दी में सत्ता में आए। उनका साम्राज्य उत्तर में यमुना नदी (जमुना) से लेकर सागर (मध्य प्रदेश, मध्य भारत) तक और धसान नदी से विंध्य पहाड़ियों तक फैला हुआ था। सुप्रसिद्ध कलिंजर का क़िला, खजुराहो, महोबा और अजयगढ़ उनके प्रमुख गढ़ थे। चंदेल राजा नंद या गंड ने लाहौर में तुर्कों के ख़िलाफ़ अभियान में एक अन्य राजपूत सरदार जयपाल की मदद की, लेकिन ग़ज़ना (ग़ज़नी) के महमूद ने उन्हें पराजित कर दिया था।
1023 में चंदेलों का स्थान बुंदेलों ने ले लिया खजुराहो के मंदिर निर्माण के लिए ही चंदेल संभवत: सबसे अधिक विख्यात है।
जेजाकभुक्ति के प्रारम्भिक शासक गुर्जर प्रतिहार शासकों के सामंत थे। इन्होनें खजुराहो को अपनी राजधानी बनाया। नन्नुक इस वंश का पहला राजा था। उसके अतिरिक्त अन्य सामंत थे- वाक्पति, जयशक्ति (सम्भवतः इसके नाम पर ही बुन्देलखण्ड का नाम जेजाक भुक्ति पड़ा) विजय शक्ति, राहिल एवं हर्ष।
यशोवर्मन
धंगदेव
गंडदेव
विद्याधर
विद्याधर के बाद अन्य चन्देल शासक निम्नलिखित थे। -
विजयपाल (1030 से 1050 ई.),
देववर्मन (1050 से 1060ई.),
कीर्तिवर्मन (1060 से 1100ई.),
सल्लक्षण वर्मन (1100 से 1115 ई.),
जयवर्मन,
पृथ्वी वर्मन आदि।
मदन वर्मन (1129 से 1163 ई.) चंदेल वंश का अन्य पराक्रमी राजा हुआ।
परर्माददेव पर 1173 ई. में चालुक्यों से भिलसा को छीन लिया ।
1203 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने परार्माददेव को पराजित कर कालिंजर पर अधिकार कर लिया और अंततः 1305 ई. में चन्देल राज्य दिल्ली में मिल गया।
जेजाकभुक्ति के प्रारम्भिक शासक गुर्जर प्रतिहार शासकों के सामंत थे। इन्होनें खजुराहो को अपनी राजधानी बनाया। नन्नुक इस वंश का पहला राजा था। उसके अतिरिक्त अन्य सामंत थे- वाक्पति, जयशक्ति (सम्भवतः इसके नाम पर ही बुन्देलखण्ड का नाम जेजाक भुक्ति पड़ा) विजय शक्ति, राहिल एवं हर्ष।
यशोवर्मन
धंगदेव
गंडदेव
विद्याधर
विद्याधर के बाद अन्य चन्देल शासक निम्नलिखित थे। -
विजयपाल (1030 से 1050 ई.),
देववर्मन (1050 से 1060ई.),
कीर्तिवर्मन (1060 से 1100ई.),
सल्लक्षण वर्मन (1100 से 1115 ई.),
जयवर्मन,
पृथ्वी वर्मन आदि।
मदन वर्मन (1129 से 1163 ई.) चंदेल वंश का अन्य पराक्रमी राजा हुआ।
परर्माददेव पर 1173 ई. में चालुक्यों से भिलसा को छीन लिया ।
1203 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने परार्माददेव को पराजित कर कालिंजर पर अधिकार कर लिया और अंततः 1305 ई. में चन्देल राज्य दिल्ली में मिल गया।
Nice Article
ReplyDeleteAusome sir
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