हट्टी(खट्टी/खत्री/खत्तिया/चट्टी/कट्टी/पट्टी) और "पाला" लोगों का भारत में आगमन
हट्टी(खट्टी/खत्री/खत्तिया/चट्टी/कट्टी/पट्टी) और "पाला" लोगों का भारत में आगमन
भारत में हट्टी लोगों का आगमन “सातवाहन” काल हो गया था। ईरान के "कूर्द और "सिथियन" यानि की "शक" लोग हट्टी लोगों की ही शाखाएँ थी। हट्टी लोग मूलतः मेषपाल थे। हट्टी लोगों के मूलस्थान को "लैंड ऑफ़ हट्टी"(आज के तुर्की,इस्राईल,सीरिया और ईरान ये देश) कहा जाता था।उनके साम्राज्य को "हट्टी साम्राज्य" कहा जाता था।हट्टी लोगों के आगमन पूर्व महाराष्ट्र में नाग(कदंब,पौन्ड्र,औन्ड्र,अहिर,पिंगळा और काम्बळा),रट्टा और आदिवासी(गोंड,भिल्ल ,कोरकू इत्यादि ..) जातियों का निवास था।
हट्टी लोगों को खट्टी/खत्री/खत्तीय/चट्टी/कट्टी/पट्टी भी कहा जाता था।महाराष्ट्र में मेषपाल यानि की धनगर समूह में "हटकर","खुटेकर" और "खाटिक" ये तीन प्रमुख उपजातियां पाई जाती है जिसमें "हट्टी" और "खट्टी" दोनों शब्दों का अर्थबोध होता है।मौर्या वंश के सम्राट अशोक ने शिलालेख में अपने आपको "खत्तिया" कहा है।"चट्टी" या “कट्टी” नाम की जाती जर्मनी में भी पाई जाती है।भारत में हट्टी पशुपाल लोगों का निवास "हिमालय" की पहाड़ी में भी है।
महाराष्ट्र में हट्टी लोगों को "मर-हट्टी" कहा जाता था।मर-हट्टी "कानड़ी" शब्द है। कानड़ी शब्द "मर" का अर्थ है "झाड़ी" और "हट्टी" का मतलब है "धनगर" लोग। मर-हट्टी का मतलब है झाड़ी में रहने वाले "धनगर" लोग। प्राचीन महाराष्ट्र का मूल नाम "मरहट्ट" मतलब "हट्टी" लोगों का देश था।
“मराठी” और “मराठा” शब्द का मूल मर-हट्टी शब्द में है। लेकिन “महाराष्ट्र” शब्द का मूल "महा-रट्टा" शब्द में है जिसका प्राचीन मराठी भाषा में अर्थ होता था जागीरदार या सामंत।महाराष्ट्र "महा-रट्टा" का संस्कृत रूप है। ज्यादातर "महा-रट्टा" लोग "रट्टा "और "नाग" जाती के होते थे।
greatest information of dhangar samaj.......khatri are shepherds of himachal pradesh
ReplyDeleteखत्तीय का मतलब पाली भाषा /बुद्ध धर्म में छत्रीय है
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