प्राचीन फोनिशियन (पणि) लोग
प्राचीन फोनिशियन (पणि) लोग
इस शिल्प में प्राचीन फोनिशियन लोग पर्शियन सम्राट को भेंट -वस्तुएं देते हुये दिखाए है।फोनिशियन लोग मूलतः "सेमिटिक"(अफ्रो-एसियाटिक) मूल के थे।वो लोग प्राचीन काल में प्रसिद्ध व्यापारी और दर्यावर्दी थे। उनका नौकाज्ञान प्रगत था। पणि लोगों का व्यापर भूमध्यसागर तक फैला था।
इस शिल्प में प्राचीन फोनिशियन लोग पर्शियन सम्राट को भेंट -वस्तुएं देते हुये दिखाए है।फोनिशियन लोग मूलतः "सेमिटिक"(अफ्रो-एसियाटिक) मूल के थे।वो लोग प्राचीन काल में प्रसिद्ध व्यापारी और दर्यावर्दी थे। उनका नौकाज्ञान प्रगत था। पणि लोगों का व्यापर भूमध्यसागर तक फैला था।
फ़ोनीशिया मध्य-पूर्व के उर्वर अर्धचंद्र(fertile crescent) के पश्चिमी भाग में भूमध्य सागर के तट के साथ-साथ स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। समुद्री व्यापार के ज़रिये यह १५०० से ३०० ईसा-पूर्व के काल में भूमध्य सागर के दूर-दराज़ इलाक़ों में फैल गई।
इन्होने जिस अक्षरमाला का इजाद किया उसपर विश्व की सारी प्रमुख अक्षरमालाएँ आधारित हैं। कई भाषावैज्ञानिकों का दावा है कि देवनागरी-सहित भारत की सभी वर्णमालाएँ इसी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की संताने हैं।
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