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Showing posts from June, 2015

प्राचीन मरहट्ट देश

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अनेक इतिहास संशोधकांनी महारठ्ठी या शब्दाचा संबंध मराठा व मराठी या शब्दांशी लावण्याचा प्रयत्न केला आहे. महारठ्ठ या शब्दापासून महाराष्ट्र हा शब्द तयार होऊ शकतो. पण मराठा व मराठी हे शब्द महारठ्ठ पासून बनलेले नाहीत. मराठा हा शब्द मरहट्टा व मराठी हा शब्द मरहट्टी या शब्दापासून बनला आहे हे सरळ दिसून येते. मरहट्टा मह्णजेच आजचे हटकर धनगर. आजच्या   मराठवाड्यात हटकरांची बारा घरे होती. या बारा घरांचे कालांतराने बारा वाडी किंवा बारा   गावात रुपांतर झाले.   हटकरांच्या बारा वाड्यांना बार-हट्टा -वाडा किंवा मर- हट्टा- वाडा म्हटले जाऊ लागले. मराठीत एक म्हण प्रचलित आहे "बारा गावचं पाणी प्यायलोय". हटकरांना मराठा धनगर ही म्हटले जाते. About Marhatt 1) महाराष्ट्राचे मूळ नाव ' मरहट्ट ' असून तिथे हट्टी किंवा हाट लोकांची वस्ती हट्टी होती . शं . ब जोशी यांच्या मते यांच्या मते " महाराष्ट्र या देशाचे मूळ नाव मरहट्ट असे होते . ते नाव कानडी आहे ." मर हा कानडी शब्द असून त्याचा अर्थ झाड असा आहे . आणि हट्ट म्हणजेच लढाऊ मेषपालक ज

भारत में लगभग 1,16,000 मंदिर पंजीकृत हैं। गली कूचों में तो अनगिनत मंदिर बने पड़े हैं।

भारत में लगभग 1,16,000 मंदिर पंजीकृत हैं। गली कूचों में तो अनगिनत मंदिर बने पड़े हैं। भारत में लगभग 15 करोड़ धनगर हैं। प्रत्येक धनगर यदि औसतन 500 ₹ भी सालाना धर्म के नाम पर खर्च करता है तो यह राशि 750 करोड़ होती है। इतनी राशि का यदि धनगर स्वयं का शिक्षा कोष बना ले तो हर वर्ष 20000 डॉक्टर , इंजीनियर या ऐसे ही प्रोफेसनल कोर्सेज की अपने बच्चों की फीस भर सकते हैं। क्या कोई देवता या धर्म आपकी इतनी बड़ी मदद कर सकता है ? आपके धार्मिक दान से जिन ब्राह्मणों का घर खर्च चलता है जिनके बच्चे पलते पढ़ते हैं वो तो आपसे नफ़रत करते हैं। तो फिर म़दिरों में दान क्यों?  जरा सोचिये  🔔

जातिवाद का षड्यंत्र(Conspiracy behind Indian caste System)

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ब्राह्मणों को इस देश को अपने नियंत्रण मे रखना थाI इस प्रक्रिया में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ईरानी आर्यों(हटकर/ मराठा धनगर, गुर्जर, पाल, गडरिया, अभिरा इत्यादि) की थीI ईरानी आर्यों का पतन करने के लिये उन्होंने सिथियन(राजपूत) और नागवंशी(मराठा अहीर/अहीरराव, जाट इत्यादि) क्षत्रियो को वैदिक क्षत्रिय की मान्यता दीI ईरानी आर्यों में भी नागवंश हैI ईरानी आर्य मौर्य नागवंशी थेI मौर्य साम्राज्य का सेनापति ब्राह्मण पुष्यमित्र श ुंग ने अन्तिम मौर्य सम्राट (बृहद्रथ) की सैन्य समीक्षा के दौरान हत्या कर दी और अपने आपको राजा उद्घोषित किया और शुंग साम्राज्य स्थापित किया। उसके बाद उसने अश्वमेध यज्ञ किया और उत्तर भारत का अधिकतर हिस्स अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। वैदिक परंपरा का आचरण ईसी काल में हो गयाI मनुस्मृति भी इसी काल में लिखि गईI गुप्त राजवंश के पतन के बाद ब्राह्मणों ने सिथियन(राजपूत) क्षत्रियो को वैदिक क्षत्रिय की मान्यता दीI ईरानी आर्यों को व्यवस्था ने शुद्र बना दियाI उनको सत्ता और शिक्षा से दूर रखा गयाI नागवंशी क्षत्रिय महाराष्ट्र में शक्तिशाली हो गयेI नागवंशी -जाट हरियाणा में

Coinage of Kharata(खरात/संस्कृत:क्षहरात) Ruler Rudrasimha of Western Kshatrapa dynasty (पश्चिमी क्षत्रप साम्राज्य)

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About Magar people in Napal

Thapa is the surname of a large social group of people, predominantly Magars as well as Chhettris, from Nepal. Over a period of time, this community has spread to other countries of the world. Origin: Genetically and physically, Magar people are Mongoloid/east Asian. They are believed to have migrated from Tibet via Sikkim like other prominent ethnic groups. Mythical stories on the Origins of Magars: There are interesting mythical stories describing the origins of Magars. Three different versions relative to three different language groups are presented. The Magar of the Bara Magaranth (a group of twelve Magar kingdoms east of the Kali Gandaki River) are said to have originated in the land of Seem. Two brothers, Seem Magar and Chintoo Magar, fought, and one remained in Seem, while the other left, ending up in Kangwachen in southern Sikkim. The Bhutia people lived at the northern end of this region. Over time, the Magars became very powerful and made the northern Bhutia their v

Maharaja Jung Bahadur Thapa-Rana (Nepali: जंग बहादुर राणा)

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Maharaja Jung Bahadur Thapa-Rana (Nepali: जंग बहादुर राणा) (or Jung Bahadur Kunwar (Nepali: जंग बहादुर कुँवर), GCB, GCSI, June 18, 1816, Kathmandu, Nepal -February 25, 1877, Borlang, Gorkha ) was a ruler of Nepal and founder of the Rana dynasty of Nepal. His real name was Bir Narsingh Kunwar but he became famous by the name Jung Bahadur, given to him by Mathebar Thapa, his maternal uncle.

काळामुखी शैव

लिंगायत धर्म संकल्पिका माता नागाई - विदेशी युरेशिअन ब्राह्मणांनी मनुस्मृती सातव्या शतकापासून उत्तर भारतात लागू करण्यास सुरुवात केली आणि त्याचा प्रादुर्भाव महारा ष्ट्रात तथा दक्षिण भारतात अकराव्या बाराव्या शतकात सुरुवात झाली. भारतात शैव संस्कृतीचे अवशेष होते त्यामध्ये शुद्ध शैव ,पाशुपत शैव ( काळामुखी शैव ) , कापालिक शैव अशा संप्रदायामध्ये समाज विखुरलेला होता क्रांतिवीर बसवन्ना माता नागाई यांचे कुटुंब काळामुखी शैव होते. ब्राह्मण इतिहासकरानी ते ब्राह्मण होते असा खोटा प्रचार केला आहे. या शैव संप्रदायाचे अनुयायी विद्वान आणि शास्त्र पारंगत होते. काळामुखी शैवांनी दक्षिण भारतात निर्माण केलेल्या मठ संस्था विद्येची माहेर घरे आणि शिक्षणाची केंद्रे बनली होती. श्रीशैल्य, बल्लीगवे आणि कुडलसंगम हि शैवांच्या धर्म प्रचारकांच्या अभ्यासाची फार प्रसिद्ध शिक्षण केंद्रे होती त्यामुळे माता नागाई आणि बसवन्ना आणि त्यांच्या परिवारात शिक्षणाची परंपरा होती आणि ते साक्षर होते म्हणून त्यांनी वचनांची निर्मिती केली. जाती व्यवस्था आणि वर्ण व्यवस्थेला विरोध करण्यासाठी माता नागाई यांनी बसवन्ना यांना प्रवृत्त केले आणि ए

जो सरफिरे होते है ।।इतिहास वही लिखते है, समजदार लोग तो सिर्फ उनके बारे में पढते हैं।

Kshatriyas are of two types: 1. Chaturvana Kshatriya (Aryans) 2. Ganavyavastha Kshatriya (Mulnivasi)

Marathas is/was a marshal race. Marathas was/are fighters’ jati. But they are not the Kshatriyas of the Chaturvarna system. They are the Kshtriyas of the india’s indigenous republican system – Ganavyavastha. Kshatriyas are of two types: 1. Chaturvana Kshatriya (Aryans) 2. Ganavyavastha Kshatriya (Mulnivasi) Today if Marathas believe themselves as Kshatriyas according to the Chaturvarna system then place themselves as the defenders or supporters of the Eurasian Brahmins. Truly Marathas are Kshatriyas from Ganavyavastha. They instead of becoming defenders of Eurasian Brahmins, Supporters of Eurasian Brahmins, Champions of Eurasian Brahmins they must become defenders of the mulnivasi Bhahujan Samaj. They must support mulnivasi bhahujan samaj.

This person in one of his books proved that Marathas and Mahars were brothers earlier.

Prof. Ashok Rana – Yavatmal This person in one of his books proved that Marathas and Mahars were brothers earlier. But Brahmins do not allow Marathas and Mahars to come together. On the contrary they have created situation of hatred between two communities.Smart Brahmins called Marathas Kshatriya and due to this there is brahmanisation of Marathas. This is a biggest block in our propaganda. That’s why we have to make people understand that ‘according to Brahman dharma Maratha s are Shudras.’ They put condition that in case mulnivasi kings want to administer punishment to the subjects then their kings must be crowned (Rajabhishek) at the hands of a Brahmin.This was a binding condition put on mulnivasi kshatriyas. Further on those mulnivasi kshatriyas who accepted this condition of Eurasian Brahmins were declared to be kshatriyas. Those who refused to accept superiority of Brahmins were pushed into Shudra Varna.

In Maharashtra just the way Marathas are Nagvanshis same way Mahars are also Nagvanshis

In Maharashtra just the way Marathas are Nagvanshis same way Mahars are also Nagvanshis. Mahars too is a marshal race. They are also fighters. Brahmin considers mahars too as its great foe. Aryans and Mahars have fought bloody wars. That’s how Marathas and Mahars have common surnames.Mulnivasis (Original inhabitant) have their ‘Kuls’ while Aryans have their ‘gotras’.

वेसे जो गुर्जर का ब्योरा आप्ने दिया है वो गुर्जर वन्श से सन्बन्दित है। लेकिन आज हम जो अपने आस पास देखते है वो गुर्जर वन्श नहि गुर्जर जाति है।

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वेसे जो गुर्जर का ब्योरा आप्ने दिया है वो गुर्जर वन्श से सन्बन्दित है। लेकिन आज हम जो अपने आस पास देखते है वो गुर्जर वन्श नहि गुर्जर जाति है। इतिहास मे हम जिस गुर्जर के बारे मे पधते है वो एक सुर्यावन्शि वन्श है। लेकिन आज के दोउर मे गुर्जर नाम कि जाति बन चुकि है जिसमे सुर्यावन्शि व चन्द्रवन्शि दोनो के हि वन्श है।भाती , छोक्कर आदि चन्द्रवन्शि है , तोमर कुरुवन्शि होते है , जो आधुनिक गुर्जर जाति के गोत्र है। जबकि इतिहास मे वर्नित गुर्जर वन्श सुर्यावन्श कि शाखा है। गुर्जर शब्द की व्य ाख्या गुर्जर दो शब्दो से मिलकर बना है - गुरु (master/ideal) + जर ( धन /money) ( आप लोगो ने देहात मे आज भी जर , जोरु व जमीन वाली कहावत सुनी होगी ) । गुर्जर शब्द की ये व्याख्या गुर्जरो को पशुधन / पशुपालन के करिब ले आती है। वेसे भी गुर्जर अपने को गोचर कहलवाने मे गर्व मह्सुस करते है। जे पी बघेल जी गो क मतलब अहिन्सक पशु बताते है। इसका मतलब ये हुआ कि अहिन्सक