वेसे जो गुर्जर का ब्योरा आप्ने दिया है वो गुर्जर वन्श से सन्बन्दित है। लेकिन आज हम जो अपने आस पास देखते है वो गुर्जर वन्श नहि गुर्जर जाति है।


वेसे जो गुर्जर का ब्योरा आप्ने दिया है वो गुर्जर वन्श से सन्बन्दित है। लेकिन आज हम जो अपने आस पास देखते है वो गुर्जर वन्श नहि गुर्जर जाति है। इतिहास मे हम जिस गुर्जर के बारे मे पधते है वो एक सुर्यावन्शि वन्श है। लेकिन आज के दोउर मे गुर्जर नाम कि जाति बन चुकि है जिसमे सुर्यावन्शि चन्द्रवन्शि दोनो के हि वन्श है।भाती, छोक्कर आदि चन्द्रवन्शि है, तोमर कुरुवन्शि होते है, जो आधुनिक गुर्जर जाति के गोत्र है। जबकि इतिहास मे वर्नित गुर्जर वन्श सुर्यावन्श कि शाखा है।
गुर्जर शब्द की व्याख्या
गुर्जर दो शब्दो से मिलकर बना है- गुरु(master/ideal) + जर (धन/money) (आप लोगो ने देहात मे आज भी जर, जोरु जमीन वाली कहावत सुनी होगी) गुर्जर शब्द की ये व्याख्या गुर्जरो को पशुधन/पशुपालन के करिब ले आती है। वेसे भी गुर्जर अपने को गोचर कहलवाने मे गर्व मह्सुस करते है। जे पी बघेल जी गो मतलब अहिन्सक पशु बताते है। इसका मतलब ये हुआ कि अहिन्सक पशु/ पालतु पशुओ को पालने वाले को गोचर कहा जाता है। आयिये अब गुर्जर धनगर शब्दो की समान्ता पर गोर करे। धनगर दो शब्दो से मिलकर बना है- धन(पशुधन/ जर/ money) गुरु(master/ideal) अहिर, ग्देरिया, गुर्जर सभी पशुपालक है। आज भी धनगर समाज मे अहिर, ग्देरिया, गुर्जर गोत्र/उपजातियो के रूप मे विद्य्मान है। भेद-बकरी पालने वाली धनगरो की उपजाति हतकर है। इसे ही उत्तर भारत मे गदेरिया नाम से जाना जाता है। इस से सिध होत्ता है की गुर्जर धनगर समान अर्थ समान काम वाले दो शब्द है, जिनका प्राचीन इतिहास एक रहा होगा।

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