आर्य आक्रमण सिद्धांत:मिथक/काल्पनिकता है

आर्य आक्रमण सिद्धांत:मिथक/काल्पनिकता है(सुमेरियन,इजिप्तशियन और सिंधु सभ्यता के बाद ही हो गया आर्यों का उगम)
ये शिल्प प्राचीन पर्शियन लोगों का है जिन्हें अभी तक गोरे आर्य समझा जाता है।पर्शियन और भारतीय(वैदिक) आर्यों का उगम ईरान की प्रगत सुमेरियन और भारत की सिंधु सभ्यता के बाद ही हो गया था। इसका मतलब आर्य लोग सुमेरियन और सिंधु वासियों के ही वंशज थे।भारतीय पुराण में "सुमेरु पर्वत" का संदर्भ आता है।
गोरे रंग का रहस्य
गोर रंग का उगम मध्य-एशिया (यूरेशिया) में हो गया था। सुमेरियन और सिंधु सभ्यता के नष्ठ हो जाने के बाद ईरान और सिंधु सभ्यता के प्रगत लोग विपुल चरवाहा क्षेत्र की उपलब्धता के कारण मध्य एशिया गये थे।भारतीय पुरूषों का यूरेशिया की गोरी महिलाओं के साथ संयोग हो गया। इसी कारण भारत के धनगरों के डीएनए में भारतीय पुरुष और यूरेशियन महिलाओं का प्रमाण ज्यादा है। अभी तक ये विरोधाभास विद्वानों को रहस्यमय ही रहा है।
भारत वापस आते समय ये लोग शक,हुन और गुर्जर नाम से जाने गए।कुछ लोग भारत और ईरान से इस्राइल गए जिन्हें अभी "ज्यु" कहा जाता है।इस्राइल के इतिहासकारों ने भी अभी मान्य किया है की ज्यु लोग भारतीय यादवों के(धनगर/गवली लोगों क़े) वंशज है।कुछ लोग रोम गए उन्हें रोमन कहा गया।
महाराष्ट्र के गवली और धनगर और कुछ आदिवासी लोगों ने सिंधु संस्कृति की महिषासुर/म्हसोबा (पशुपतिनाथ) पूजन की प्राचीन परंपरा अभी तक कायम रखी है।


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