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Showing posts from July, 2015

Cattle herders were the major element of past society and had influence over economy and political scenario of the society at that time.

Original Shepherds/Cattle Herders(Asali Dhangars)

Animal husbandry was the original occupation of the nomadic Aryans. That’s the reason why Shepherds and cattle herders of the India are called as Asali(Original) Dhangars in local language. Remaining occupations of the Aryans were related with cattle herding such as blanket weaving from the wool of the sheep and goats, leather working etc. From these two classes nobles like Kings,Soldiers ,Priests were emerged. Most of the bu siness classes even Brahmins in the india are emerged from the relation of Dhangar(cattle herders) males and Brahmin(Priest) females.Because most of the Dhangar males were Kings and Soliders and they were fond of the beauty of the Brahmins(Priest) females.Cattle herders were the major element of past society and had influence over economy and political scenario of the society at that time.

असली धनगर

पशुपालन आर्य इतिहास का मुल व्यवसाय हैI इसलिए पशुपाल को असली धनगर भी कहा जाता हैI आर्यों के व्यवसाय पशुपालन से जुड़े थे जैसे की चमड़े का काम और भेड़-बकरियों की ऊन(मराठी: लोकर) से कम्बल(blanket) तैयार करनाIवेदों में गांधार देश की प्रसिद्ध ऊन(मराठी: लोकर) का बडा ही विस्तृत रूप से जिक्र किया हैIउनमें से कुछ लोग पुरोहित बनते थे जैसे भेड़-बकरिया पालना मेषपालो का मुख्य व्यवसाय थाI उनमें से कुछ लोग राजा और सरदार बनते थेI

Death of the Attila The Hun

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Attila The Hun:

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हूण (Hun): Nomadic pastoralist tribe ( चलवासी पशुचारणिक जन) हूण एशिया की एक जाति थी जिसने ईसा की चौथी और पाँचवीं शताब्दी में सारे संसार में अपना प्रताप फैलाया था। हूण शिव और अग्नि पूजक थेI https://www.facebook.com/photo.php?fbid=687977228001362&set=a.267277083404714.64323.100003672720193&type=1&theater ( अट्टल ) /Attil must be related with Attila .Atole( आटोळे ) surname is found in Shepherds of Baramati area of the Pune district of Maharashtra. Attila must have origin f rom Attole tribe of Dhanagrs (Shepherds). There are three main sub-division of Shepherds in Maharashtra i.e.Hatkar,Ahir or Mahaskar(Gurjar) and Khutekar or Shegar or Sangar.The half division is called as Khatik(Butchers).The no three and half is not random selection but it has religious and cosmological significance   Hungary(Hun-Gurjar):The country found by Hun-Gurjars.Hun-Gurjar:An aristocratic( लढाऊ ) class made by Shepherd clan Huns and Gurjars.Attila was the great warrior of Huna

धनगर हूणमाने/होनमाने वंश

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हूण (Hun): Nomadic pastoralist tribe ( चलवासी पशुचारणिक जन) हूण एशिया की एक जाति थी जिसने ईसा की चौथी और पाँचवीं शताब्दी में सारे संसार में अपना प्रताप फैलाया था। हूण शिव और अग्नि पूजक थेI धनगर/गुर्जरों मे हूण/हूणमाने वंश पाया जाता हैI https://www.facebook.com/photo.php?fbid=687972061335212&set=a.267277083404714.64323.100003672720193&type=1&theater Names of famous Hepthallite(Hun) attackers: 1. Chu-Han (Han was used as a distinction to a king). 2. Turhan or Torman 3. Mihirkula(Mihir means Surya.Mihirkula means suryavanshi) This is where the Surname chauhan,Tomar and Mehara originated from....... The other Gujar dynasties which were ruling earlier were chap,chechi, Nagar, Kushan and parmar. All these clans could not rise under these Lor-Gujars As per "Records of the Great Historian", or Shiji, by a chinese writer Sima Qian,He clearly explains the lifestyle of Yuchees(Kushans). He wrote that they were into animal husbandary and loved thei

हूण (Hun): Nomadic pastoralist tribe ( चलवासी पशुचारणिक जन)

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(The Huns/Hoons): Information in English is given below हूण एशिया की एक जाति थी जिसने ईसा की चौथी और पाँचवीं शताब्दी में सारे संसार में अपना प्रताप फैलाया था। हूण शिव और अग्नि पूजक थेI यूरोप का प्रसिद्ध इतिहास लेखक गिबन इन हूणों के विषय में लिखता है:- “सारे यूरोप में गाथ( जाट) और वेंडल नामक असभ्यों ने उपद्रव मचा रखा था। पर वे भी हूणों के सामने भागे(जाट पश्चिम यूरेशिया मे गाथ कहलाये)। हूणों का जैसा प्रताप और वैभव था वैसा अधिकार वे जमा न सके। उनके विजयी दल वोल्गा नदी से लेकर डैन्यूब नदी के किनारे तक फैले थे। पर उनका जातीय बल नेताओं की परस्पर फूट से शिथिल रहा, उनका बहुत सा पराक्रम छोटी-छोटी लड़ाइयों में व्यर्थ खर्च होता था। अटिला के राजत्वकाल में उन्होंने फिर संसार को हिला डाला। उनके आक्रमणों से एशिया और यूरोप दोनों महाद्वीपों में हलचल मच गई और रोमन साम्राज्य का पतन हुआ।” “इन हूणों का प्रवाह चीन की सीमा से चलकर जर्मनी तक पहुँचा था। इनके जो सबसे प्रबल दल थे वे रोमन साम्राज्य की सीमाओं पर जम गए थे। कुछ दिनों तक रोमन सम्राट दान नीति का अवलम्बन करके अपने प्रदेशों की रक्षा कर

Fall of the Achaemenid Empire empire(अजमीढ़ साम्राज्य का पतन)

According to Plutarch, Artaxerxes' successor Artaxerxes III (358 – 338 BC) came to the throne by bloody means, ensuring his place upon the throne by the assassination(हत्या) of eight of his half-brothers. His unexpected rise to the throne came in 338 BC as a result of the murder of his father and most of his family by Bagoas, the powerful Vizier(प्रधानमंत्री) of Persia who had recently fallen in Artaxerxes' disfavor.

भारत की ज्यादातर व्यवसायिक जातियाँ मेषपाल पुरुष और ब्राह्मण स्त्रियों के संबंध से निर्माण हुई हैI

भारत की ज्यादातर व्यवसायिक जातियाँ मेषपाल पुरुष और ब्राह्मण स्त्रियों के संबंध से निर्माण हुई हैI ब्राह्मण मेषपालो की पुरोहित जाति हैI ब्राह्मणों का स्वतंत्र कबीला होता थाI सुंदर ब्राह्मण और नाई(Barber) स्त्रियां मेषपाल राजा और सरदारों को बेहद पसंद थीI इतिहास में इसके उदाहरण हैI नंद वंश मेषपाल राजा और ब्राह्मण या नाई स्त्री की संतान थेI लेकिन राजा की बाकी संतान(Half Brothers) उनका द्वेष करती थी ये मुझे गलत लगता हैI इसी कारण इतिहास में हत्याकांड हो गएI मेरे चचेरे भाई ने सुंद र चमार(मराठी: चांभार) लडकी से शादी की है( वो अब गाव नही आता ये अलग बात है)I मेषपाल पुरुष और ब्राह्मण या नाई स्त्रियों के संतान को जायदाद में हिस्सा मिलता थाI इसी कारण मेरे गाव में ब्राह्मण और नाई लोगों के पास भरपूर जमीन हैI मेरे गाव के मेषपाल, ब्राह्मण और नाई लोगों के उपनाम(Surname) भी एक ही हैI इसी कारण मेषपाल और ब्राह्मणों के 50% डीएनए एक ही हैI धार्मिक स्थलों पर बाल काटना, चमड़े का काम और भेड़-बकरियों की ऊन(मराठी: लोकर) से कम्बल(blanket) तैयार करना ब्राह्मणों का मुख्य व्यवसाय थाI वेदों में गांधार देश की प्

Brahmanisation of Shepherds history(मेषपाल इतिहास का ब्राह्मणीकरण)

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Khatri have surnames like Kapoor,Chopda,Malhotra,Mehara,Khanna,Arora etc..Dasrath Sharma described Khatris as a mixed pratiloma caste of low ritual status but suggested that Khatris could be a mixed caste born of Kshatriya (Shepherds are called as Kshatriya by Brahmins) fathers and Brahmin mothers. Khatris consider themselves to be of pure Vedic descent and thus superior to other claimants to kshatriya status,  such as the Rajputs.Khatris claim that they were warriors who took to trade.The 19th-century Indians and the British administrators failed to agree whether the Khatri claim of Kshatriya status should be accepted, since the overwhelming majority of them were engaged in Vaishya (mercantile) occupations.The Khatris of Gujrat and Rajasthan are said to have tailoring skills like "Darji" (tailor) caste. Many people have doubt that if Khatris were once warriors, then, why they are found to be involved in merchant and scribe occupation.But due to Brahminisation of She

Ancient and Modern Arabs

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Ancient Arab were black colored. The Arabs, like the Berbers, were very fond of White Women, especially Turkish White Women. Their harems were always well stocked with them. Even the Bedouin Nomads in the desert, had Turkish Wives! WHITE OR "ALMOST" WHITE PEOPLE COULD NOT SURVIVE IN ARABIA WITHOUT BEING COVERED FROM "HEAD-TO-TOE" WITH CLOTHING! https://www.facebook.com/vinaykumar.madane/posts/686658691466549

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम यांच्या बालपणीची एक हृदयस्पर्शी आठवण.

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मी लहान होतो तेव्हाची गोष्ट. प्रत्येत आईप्रमाणेच माझी आई आम्हा सर्वांसाठी जेवण तयार करायची. दिवसभ र कष्टाची कामे करून आई खुप दमून जायची. एके रात्री आईेने स्वयंपाक केला आणि माझ्या बाबांना जेवायला वाढले. त्यांच्या ताटात एक भाजी आणि एका बाजूने पुर्णपणे करपलेली भाकरी दिली.त्या जळालेल्या, करपलेल्या भाकरीबद्दल कोणी काही बोलतेय का याची मी वाट पहात होतो. परंतू बाबांनी आपले जेवन शांतपणे संपवले आणि मला जवळ घेवून माझ्या शाळेतील आजच्या दिवसाची विचारपूस करू लागले. मला आता आठवत नाही मी त्यांना तेव्हा काय सांगीतले होते. पण एक गोष्ट मला आजही आठवतेय, ती म्हणजे करपलेल्या भाकरीबद्दंल आईने मागीतलेली माफी....! यावर बाबांनी दिलेलं उत्तर मी कधीच विसरलो नाही. माझे बाबाखुप समजूतदारपणे माझ्या आईला म्हणाले, "असे काही नाही ग, मला करपलेली भाकरी खुप आवडते..." झोपी जाण्यापूर्वी मी बाबांजवळ गेलो आणि त्याना विचारले, "खरंच तुम्हाला करपलेली, जळालेली भाकरी आवडते का..?" त्यानी मला खुप प्रेमाने आपल्या कवेत घेतले आणि समजावले, "तुझी आई दिवसभराच्या कामाने खुप थकून गेलेली असते. करपलेल्या

मेषपाल- "खरात" (संस्कृत:क्षहरात) घराणे

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महाक्षत्रप नहपान: नहपान हा इराणी शब्द असून नह म्हणजे जनता व पन म्हणजे रक्षणकर्ता. नहपान हा गौतमीपुत्र सातकर्णीच्या समकालीन.नहपान हा खरात( क्षहरात) घराण्यातील पश्चिमेवर राज्य करणारा एक क्षत्रप होता. तो अत्यंत महत्वाकांक्षी होता. मुळचे हे क्षत्रप कुशाणांचे(Khushan are Gurjars) अधिकारी, पण कुशाणांची सत्ता खिळखिळी झाल्यावर ते स्वतंत्र बनले. इ.स. ३२ मद्धे नहपान सत्तेवर आला. प्रथम हा सत्रप (गव्हर्नर) होता. पुढें यानें आपल्याला महाक्षत्रप व रा जा हीं उपपदें लाविलीं. यानें आपलें राज्य दक्षिण राजपुताना ते नाशिक पुणेंपर्यंत (सुराष्ट्र काठेवाड धरून) वाढविलें होतें. नहपानाने गौतमीपुत्राच्या पूर्वजांवर वारंवार आक्रमणे करुन माळव्यापासून दक्षिणेपर्यंत असलेली सातवाहनांची सत्ता निष्प्रभ केली इतकी की गौतमीपुत्र राजा झाला तंव्हा त्याच्या ताब्यात साताऱ्याचा काही भाग सोडला तर काहीच उरले नाही. कोकण-गोमंतकही नहपानाने हिरावून घेतला असल्याने तेथल्या बंदरांतून चालणारा व्यापारही नहपानाच्या हाती गेला. परंतु गौतमीपुत्र हा अत्यंत पराक्रमी पुरुष होता. त्याने नहपानावर सलग आक्रमणे सुरू केली. जवळपास वीस वर्ष

मेषपाल-'कार्दमक(काळे) वंश के महाक्षत्रप रुद्रदामन पुत्र रुद्रसिंह का सिक्का

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मेषपाल-'कार्दमक(काळे) वंश के महाक्षत्रप रुद्रदामन पुत्र रुद्रसिंह का सिक्का Coin of the king and Great Satrap Rudrasimha,son of the King and Great Satrap Rudradaman. महाक्षत्रप रुद्रदामन 'कार्दमक(काळे) वंशी' पितामह चष्टन का पौत्र थे, जिसे चष्टन के बाद गद्दी पर बैठाया गया था। यह इस वंश का सर्वाधिक योग्य शासक था और इनका शासन काल 130 से 150 ई. माना जाता है। रुद्रदामन एक अच्छे प्रजापालक, कुशल राजनीतिज्ञ, तर्कशास्त्र के विद्वान तथा संगीत के प्रेमी थे ।इनके समय में उज्जयिनी(उज ्जैन) शिक्षा का बहुत ही महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन चुकी थी। रुद्रदामन के विषय में विस्तृत जानकारी उनके जूनागढ़ (गिरनार) से शक संवत 72 (150 ई.) के अभिलेख से मिलती है।रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से उनके साम्राज्य के पूर्वी एवं पश्चिमी मालवा, द्वारका के आस-पास के क्षेत्र, सौराष्ट्र, कच्छ, सिंधु नदी का मुहाना, उत्तरी कोंकण आदि तक विस्तृत होने का उल्लेख मिलता है। https://www.facebook.com/photo.php?fbid=686410834824668&set=a.267277083404714.64323.100003672720193&type=1&theater

तो महाराष्ट्राचा आद्य राजा होता. त्यामुळेच सबंध महाराष्ट्राचे आराध्यदैवत बनला.

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तो महाराष्ट्राचा आद्य राजा होता. त्यामुळेच सबंध महाराष्ट्राचे आराध्यदैवत बनला. तो सबंध महाराष्ट्राला देवतेपेक्षा कमी नाही.महाराष्ट्राची आद्य राजधानी पंढरपूर हे माझे गाव असल्याचा मला अभिमान वाटतो. महाराष्ट्राचे आद्य वसाहतकार पशुपालक आहेत. विट्ठल हा त्यांच्यापैकीच आद्य राजा आज श्री विट्ठलाच्या रुपात पुजला जातो.पशुपालन, मासेमारी, व काही प्रमानात शेती हा त्यांचा महत्वाचा व्यवसाय होता हे आता स्पष्ट झाले आहे. पुंड्र, औंड्र हे पशुपालक समाज अन्य प्रदेशांप्रमाणे महाराष्ट्रातही पसरले . अहिर धनगरांनी खानदेश व्यापला तसा पौंड्र धनगरांनी दक्षीण महाराष्ट्र व्यापला. पुंड्रपुर (आजचे पंढरपुर) ही त्यांची राजधानी होती. विट्ठल हा त्यांच्यापैकीच आद्य राजा आज श्री विट्ठलाच्या रुपात पुजला जातो. (पहा-विट्ठलाचा नवा शोध -संजय सोनवणी.) https://www.facebook.com/photo.php?fbid=686194851512933&set=a.267277083404714.64323.100003672720193&type=1&theater

Hercules or Hari-Kula means one who is descendant from Hari

Hercules or Hari-Kula means one who is descendant from Hari(Lord Vishnu).Hari was another name of the Krishna.Hara was the sun god.Hatti/Ahir ,Kurd and Gurjars were sun-worshipers.Krishna was originally Ahir.Yadu was fostered by Ahirs

वेद -शस्त्रों मे मांस -भक्षण के विधान ********

वेद - शस्त्रों मे मांस - भक्षण के विधान ******** वैदिक साहित्य से पता चलता है की प्राचीन आर्य - ऋषि और याज्ञिक ब्राह्मण सूरा - पान और मांसाहार के बड़े शौकीन थे । यज्ञों मे पशु बाली अनिवार्य था बली किए पशु मांस पर पुरोहित का अधिकार होता था , और वही उसका बटवारा भी करता था। बली पशुओ मे प्राय ; घोडा , गौ , बैल अज अधिक होते थे . ****** ऋग्वेद मे बली के समय पड़े जाने वाले मंत्रो के नमूने पड़िए ;- 1- जिन घोड़ो को अग्नि मे बली दी जाती है , जो जल पिता है जिसके ऊपर सोमरस रहता है , जो यज्ञ का अनुष्ठाता है , उसकी एवम उस अग्नि को मै प्रणाम करता हु। ( ऋग्वेद 10,91,14) - इंद्रा कहते है , इंद्राणी के द्वारा प्रेरित किए गए यागिक लोग 15-20 सांड काटते और पकाते है । मै उन्हे खाकर मोटा होता हू । - ऋग्वेद 10,83,14 2- हे दिव्य बधिको ! अपना कार्य आरंभ करो और तुम जो मानवीय बधिक हो , वह भी पशु के चरो और आग घूमा चुकाने के बाद पशु पुरोहित को सौप