सिकंदर की मृत्यु के बाद उसका सेनापति सेल्यूकस यूनानी साम्राजय का शासक बना और उसने चंद्रगुप्त मौर्य पर आक्रमण कर दिया।
बौद्ध और जैन साहित्य के अनुसार चंद्रगुप्त, मौर्य (मोरिय) कुल में जन्मा था और नंद राजाओं (अजमीढ़ साम्राज्य) का महत्वाकांक्षी सेनापति(क्षत्रप) था।
सिकंदर के भारत आक्रमण के समय चंद्रगुप्त मौर्य की उससे पंजाब में भेंट हुई थी। किसी कारणवश रुष्ट होकर सिकंदर ने चंद्रगुप्त को कैद कर लेने का आदेश दिया था। पर चंद्रगुप्त उसकी चंगुल से निकल आया।
सिकंदर की मृत्यु के बाद चंद्रगुप्त ने यूनानियों के अधिकार से पंजाब को मुक्त करा लिया। अपनी विशाल सेना लेकर वह उत्तर भारत, गुजरात और सौराष्ट्र तक फैलता गया।
सिकंदर की मृत्यु के बाद उसका सेनापति सेल्यूकस यूनानी साम्राजय का शासक बना और उसने चंद्रगुप्त मौर्य पर आक्रमण कर दिया। पर उसे मुंह की खानी पड़ी। काबुल, हेरात, कंधार, और बलूचिस्तान के प्रदेश देने के साथ-साथ वह अपनी पुत्री हेलना का विवाह चंद्रगुप्त से करने के लिए बाध्य हुआ। इस पराजय के बाद यूनानियों को भारत की ओर मुंह करने का साहस नहीं हुआ।
चंद्रगुप्त मौर्य का शासन-प्रबंध बड़ा व्यवस्थित था।
इसका परिचय यूनानी राजदूत मेगस्थनीज के विवरण से मिलता है।
लगभग-300 ई॰पू॰ में चंद्रगुप्त ने अपने पुत्र बिंदुसार को गद्दी सौंप दी।
सिकंदर की मृत्यु के बाद चंद्रगुप्त ने यूनानियों के अधिकार से पंजाब को मुक्त करा लिया। अपनी विशाल सेना लेकर वह उत्तर भारत, गुजरात और सौराष्ट्र तक फैलता गया।
सिकंदर की मृत्यु के बाद उसका सेनापति सेल्यूकस यूनानी साम्राजय का शासक बना और उसने चंद्रगुप्त मौर्य पर आक्रमण कर दिया। पर उसे मुंह की खानी पड़ी। काबुल, हेरात, कंधार, और बलूचिस्तान के प्रदेश देने के साथ-साथ वह अपनी पुत्री हेलना का विवाह चंद्रगुप्त से करने के लिए बाध्य हुआ। इस पराजय के बाद यूनानियों को भारत की ओर मुंह करने का साहस नहीं हुआ।
चंद्रगुप्त मौर्य का शासन-प्रबंध बड़ा व्यवस्थित था।
इसका परिचय यूनानी राजदूत मेगस्थनीज के विवरण से मिलता है।
लगभग-300 ई॰पू॰ में चंद्रगुप्त ने अपने पुत्र बिंदुसार को गद्दी सौंप दी।
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