पुंड्र/ औंड्र धनगर वंशावली
आदिमानव-ब्रह्मा-प्रजापति -कुश(श्रीराम के बेटे कुश नही)-कुशनाभ -राजा गाधि -राजा/ऋषि विश्वामित्रा-कौशिक- नागा पुण्डरीक/ पुंडलिक राजा/ऋषि- पुंड्र/ औंड्र धनगर- राजा विट्ठल-हट्टी हटकर,गुर्जर,पाल,अहीर-कुषाण सम्राट कनिष्क द ग्रेट-खरात(क्षहरात), शिंदे और सुळे/शक/पश्चिमी क्षत्रप /Western Satraps/Saka –शक महाक्षत्रप रुद्रदामन- शक सम्राट शालिवाहन- पुंडीर- परिहार/गुर्जर प्रतिहार वंश- आदिवराह गुर्जर सम्राट मिहिर भोज महान- बैसला गुर्जर(भैसपाल/डांगे धनगर) –बैस(धनगर राजपूत)- सम्राट हर्षवर्धन महान-गवली धनगर- छत्रपति शिवाजी (संदर्भ:Dr.R.C.Dhere: साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक)
Bhai sahab ye pal ahir to gujjar nhi h pal to gadariya hote h or ahir yadav hote h
ReplyDeletePal hi dhangar hai aur kshatriya bhi
Deleteभारत में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताब "Ancient India " है इसके लेखक है विद्या धार महाजन ये किताब 1960 से दिल्ली विश्वविद्यालय में पढाई जा रही है , इस किताब के पेज 479 पर लिखा है " The word Rajput is used in certain parts of Rajasthan to denote the illegitimate sons of a Kshatriya Chief ar Jagirdar. " इसका हिंदी अनुवाद हुआ " राजपूत शब्द राजस्थान के कुछ हिस्सों में एक क्षत्रिय प्रमुख या जागीरदार के नाजायज बेटों को निरूपित करने के लिए उपयोग किया जाता है। " हम तो सोच रहे थे के जो बात स्कन्द पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखी हुई है वो बस कुछ ही लोगो को पता है , मगर ये बात तो आज ही पता चली के ये बात तो दुनिया जानती है और 1960 से ये बात किताब मर पढाई जा रहे है , आपको ये किताब खरीदने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए आपको किताब खरीदने का पता बता रहे है S Chand Publishing Registered Head Office
DeleteRegd.Office: Ground floor, B-1, D-1, Mohan Co-operative Industrial Estate (MCIE),
Mathura Road, New Delhi -110044
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Site-4, Sahibabad (Ghz)-201005 (U.P)
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E-mail : info@schandpublishing.com https://books.google.co.in/books?id=7TJlDwAAQBAJ&pg=PA479&lpg=PA479&dq=rajput+illegitimate+mahajan&source=bl&ots=SKZGAc_ITq&sig=ACfU3U1LsetLK_f9PRtgztOEjllguGK3JA&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwjz-pbBya7lAhXYfCsKHaMqDY44ChDoATAAegQIBhAB#v=onepage&q=rajput%20illegitimate%20mahajan&f=false
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Hote Hai
ReplyDeleteफरिश्ता ने बताई है राजपूतों की उत्पत्ति कैसे हुई
Deleteफ़ारसी किताब का नाम "तारीक ऐ फरिश्ता" लेखक मुहम्मद कासिम फरिश्ता इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया Lt Colonel John Briggs ने जो मद्रास आर्मी में थे, किताब के पहले वॉल्यूम ( Volume - 1 ) के Introductory Chapter On The Hindoos में पेज नंबर 15 पर लिखा है
The origion of Rajpoots is thus related The rajas not satisfied with their wives, had frequently children by their female slaves who although not legitimate successors to the throne ,were Rajpoots or the children of the rajas
इसका हिंदी में अनुवाद भी पढ़े
राजपूतों की उत्पत्ति इस प्रकार से संबंधित है। राजा अपनी पत्नियों से संतुष्ट नहीं थे, उनकी महिला दासियो द्वारा अक्सर बच्चे होते थे, जो सिंहासन के लिए वैध उत्तराधिकारी नहीं थे, लेकिन इनको राजपूत या राजा के बच्चे या राज पुत्र कहा जाता था ।
जिसको भी ये किताब चाहिए वो मुंशीराम मनोहरलाल पब्लिशर से ऑनलाइन खरीद सकता है https://www.mrmlonline.com/ और अगर किसी को इनकी दूकान से खरीदनी हो तो वो इस पते पर जाके खरीद सकता है
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Deleteभारत में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताब "Ancient India " है इसके लेखक है विद्या धार महाजन ये किताब 1960 से दिल्ली विश्वविद्यालय में पढाई जा रही है , इस किताब के पेज 479 पर लिखा है " The word Rajput is used in certain parts of Rajasthan to denote the illegitimate sons of a Kshatriya Chief ar Jagirdar. " इसका हिंदी अनुवाद हुआ " राजपूत शब्द राजस्थान के कुछ हिस्सों में एक क्षत्रिय प्रमुख या जागीरदार के नाजायज बेटों को निरूपित करने के लिए उपयोग किया जाता है। " हम तो सोच रहे थे के जो बात स्कन्द पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखी हुई है वो बस कुछ ही लोगो को पता है , मगर ये बात तो आज ही पता चली के ये बात तो दुनिया जानती है और 1960 से ये बात किताब मर पढाई जा रहे है , आपको ये किताब खरीदने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए आपको किताब खरीदने का पता बता रहे है S Chand Publishing Registered Head Office
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ReplyDeleteSamrat Kanishk Kushan Yuezhi Jaati Ke The Vah Ek Buddhist Raja Tha Vah China Se Aaya Tha 🤔🤔🤔
Badgujjar Samrat Mihir Bhoj Pratihar Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah Gujarata Pradesh Ke Raja The 🤔🤔🤔
Samrat Bhoj Parmar Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah Madhya Pradesh Ke Raja The 🤔🤔🤔
Samrat Prithviraj Singh Chauhan Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah Rajasthan Ke Raja The 🤔🤔🤔
Samrat Anangpal Tomar Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah Dehli Ke Raja The 🤔🤔🤔
Maharaja Chhatrapati Shivaji Maharaj Bhosle Sisodiya Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah Maharastra Ke Raja The 🤔🤔🤔
Sardar Vallabhbhai Patel Patidar Kurmi Samaj Se The Vah Gujrat Se The 🤔🤔🤔
Bhagwan Shree Ram Suryavanshi Kashtiya Rajput Vansh Main Janam Liye The 🤔🤔🤔
Unke Pita Ji Ka Naam Raja Dashrath Tha 🤔🤔🤔
Bhagwan Shree Krishna Yaduvanshi Chandravanshi Kashtiya Rajput Vansh Main Janam Liye The 🤔🤔🤔
Unke Pita Ji Ka Naam Vasudev Yaduvanshi Kashtiya Rajput Vansh Ke The 🤔🤔🤔
Unka Palan Pushan Nand Baba Maa Yashoda Ahir Gwala Yadav Ke Ghar Main Hua Tha 🤔🤔🤔
Bhagwan Gautam Buddh Bhagwan Suryavanshi Kashtiya Rajput Vansh Main Janam Liye The 🤔🤔🤔
Unke Bachpan Ka Naam Siddharth Shakya Tha 🤔🤔🤔
Mata Gujri Guru Gobind Singh Ji Ki Maa Thi Mata Gujri Ka Janam Punjabi Khatri Parivar Main Hua Tha 🤔🤔🤔
Jakar School College 🏫🏫🏫🎒🎒🎒 Main Itihaas History Ko Pad 🗒️🗒️🗒️ Lena Samjha Kya Beta Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History Choro Ki Naajayaz Aulad Hote Hai 🤔🤔🤔 Sab Ko Apna Baap Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Aur Apni Maa Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor Bana Dete Ho Kya Baat Hai Beta Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains 🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar Biradri Hai 🤔🤔🤔😂😂😂😝😝😝😎😎😎💪💪💪
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DeleteAcha to ab ye padho tere baap hai Gurjar history ke shilalekha dekho
Puraan mai Rajput jaati
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.। स्कंदपुराण , सह्याद्रिखंड , अ ० २६ में ' रजपूत ' नामक एक जाति की उत्पत्ति इस प्रकार लिखी है
शूद्रायां क्षत्रियादुअः क रका प्रजायते । शस्त्रविद्यासु कुशलः संग्राम कुशलो भवेत् ।। तया वृत्या सजीवेद्यः शूद्र धर्मा प्रजायते । रजपूत इति ख्यातो युद्ध कर्म विशारदः ।।
अर्थ - क्षत्रिय से शूद्र जाति की स्त्री में रजपूत उत्पन्न होता है । यह भयानक , निर्दय , शस्त्र विद्या और रण में चतुर तथा शूद्र धर्म वाला होता है और शस्त्रवृत्ति से अपनी जीविका चलाता है । * " रजपूत ' और ' राजपूत ' दोनों ही राजपुत्र शब्द के अपभ्रंश हैं ।
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ब्रह्मवैवर्त पुराण में राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में वर्णन है । < ब्रह्मवैवर्तपुराणम् ( खण्डः १ - ( ब्रह्मखण्डः ) अध्यायः ० ९ ब्रह्मवैवर्तपुराणम् अध्यायः १० क्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह ।। राजपुत्र्यां तु करणादागरीति प्रकीर्तितः ।। 1/1011 " ब्रह्म वैवर्तपुराण में राजपूतों की उत्पत्ति क्षत्रिय के द्वारा करण कन्या से बताई करणी मिश्रित या वर्ण - संकर जाति की स्त्री होती है ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार करण जन - जाति वैश्य पुरुष और शूद्रा - कन्या से उत्पन्न है । और करण लिखने का काम करते थे । ये करण ही चारण के रूप में राजवंशावली लिखते थे । एसा समाज - शास्त्रीयों ने वर्णन किया है । तिरहुत में अब भी करण पाए जाते हैं । लेखन कार्य के लिए कायस्थों का एक अवान्तर भेद भी करण कहलाता है
Gurjar ke record padh le najayaz ����������
गुर्जर वंश के शिलालेख)��������
नीलगुण्ड से प्राप्त अमोघवर्ष प्रथम का शिलालेख जिसमें कन्नड और संस्कृत दोनों में प्रतिहार ओ को गुर्जर जाति का ही लिखा है, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है ।राजजर शिलालेख" में वर्णित "गुर्जारा प्रतिहारवन" वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे।
ब्रोच ताम्रपत्र 978 ई० गुर्जर कबीला(जाति)
का सप्त सेंधव अभिलेख हैं
पाल वंशी,राष्ट्रकूट या अरब यात्रियों के रिकॉर्ड ने प्रतिहार शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि गुर्जरेश्वर ,गुर्जरराज,आदि गुरजरों परिवारों की पहचान करते हैं।
बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से हुआ है।
राजोरगढ़ (अलवर जिला) के मथनदेव के अभिलेख (959 ईस्वी ) में स्पष्ट किया गया है की प्रतिहार वंशी गुर्जर जाती के लोग थे
नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में "गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा" कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है।
महिपाला,विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था, को पंप द्वारा "गुर्जरा राजा" कहा जाता है। एक सम्राट को केवल एक छोटे से क्षेत्र के राजा क्यों कहा जाना चाहिए, यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया।
भडोच के गुर्जरों के विषय दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया
प्राचीन भारत के की प्रख्यात पुस्तक ब्रह्मस्फुत सिद्धांत के अनुसार 628 ई. में श्री चप
(चपराना/चावडा) वंश का व्याघ्रमुख नामक गुर्जर राजा भीनमाल में शासन कर रहा था
9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के
परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए।
। मार्कंदई पुराण,स्कंध पुराण में पंच द्रविडो में गुर्जरो जनजाति का उल्लेख है।
अरबी लेखक अलबरूनी ने लिखा है कि खलीफा हासम के सेनापति ने अनेक प्रदेशों की विजय कर ली थी परंतु वे उज्जैन के गुर्जरों पर विजय प्राप्त नहीं कर सका
सुलेमान नामक अरब यात्री ने गुर्जरों के बारे में साफ-साफ लिखा है कि गुर्जर इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु है
जोधपुर अभिलेख में लिखा हुआ है कि दक्षिणी राजस्थान का चाहमान वंश गुर्जरों के अधीन था
कहला अभिलेख में लिखा हुआ है की कलचुरी वंश गुर्जरों के अधीन था
चाटसू अभिलेख में लिखा हुआ है की गूहिल वंश जोकि महाराणा प्रताप का मूल वंस है वह गुर्जरों के अधीन था
पिहोवा अभिलेख में लिखा हुआ है कि हरियाणा का शासन गुर्जरों के अधीन था
खुमाण रासो के अनुसार राजा खुमाण गुर्जरों के अधीन था
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ReplyDeleteNagar Bhatnagar Rawal Pradhan Gujjargaur Etc Brahman Pandit Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam Title Hota Hai 🤔🤔🤔
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Deleteरानी लक्ष्मी कुमारी, चुडावत, (राजपूत ) ने राजस्थान का एक लंबा इतिहास लगभग 800 पृष्ठों पर लिखा है। 10 वीं शताब्दी ईस्वी की एक सत्य घटना पर वह लिखती हैं, देव नारायण गुर्जर ने अपने बिखरे परिवार के सदस्यों को एकत्र किया । उसके चचेरे भाइयों में से एक फर्श कालीन पर बैठा था, देवा नारायण ने उसे बुलाया, हे भाई, वह राजपूतों के बैठने की जगह है, तुम यहाँ सिंहासन के पास आओ। उन्हें लगता है कि गुर्जर वर्ग सभी राजपूतों के लिए एक श्रेष्ठ वर्ग है.
।
गुर्जर दुनिया की एक महान जाति है। गुर्जर ऐतिहासिक काल से भारत पर शासन कर रहे थे, बाद में कुछ गुर्जर की औलाद को मध्यकाल में राजपूत कहा जाता था। राजपूत, मराठा, जाट और अहीर, क्षत्रियों के उत्तराधिकारी हैं। वे विदेशी नहीं हैं। हम सभी को छोड़कर कोई भी समुदाय क्षत्रिय नहीं कहलाता है। उस क्षत्रिय जाति को कैसे खत्म किया जा सकता है जिसमें राम और कृष्ण पैदा हुए थे। हम सभी राजपूत, मराठा, जाट और अहीर सितारे हैं, जबकि गुर्जर क्षत्रिय आकाश में चंद्रमा हैं। गुर्जर की गरिमा मानव शक्ति से परे है .. (शब्द - ठाकुर यशपाल सिंह राजपूत
गुर्जर तंवर राजाओ की औलाद से तंवर राजपूत और तोमर राजपूत बने(शब्द महेंदर सिंह राजपूत)
ReplyDeleteGujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History Choro Ki Naajayaz Aulad Hote Hai 🤔🤔🤔
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Deleteसंस्कृत भाषा में राजपूत का अर्थ क्या है ये भी जानिये
मोनियर विलियम्स (12 November 1819 – 11 April 1899) ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के संस्कृत भाषा के प्रोफेसर थे । उनका जन्म बंबई में हुआ था, उन्होंने एशियाई भाषाओं, विशेष रूप से संस्कृत, फ़ारसी और हिंदुस्तानी का अध्ययन, दस्तावेज और शिक्षण किया। अपनी किताब "A Sanskrit-English Dictionary " में उन्होंने संस्कृत भाषा के शब्दों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है । इस किताब के पेज नंबर 83 और 873 को ध्यान से देखे । पेज 873 पर लिखा है
A Rajpoot , the son of a vaisya by an Ambashtha, or the son of a Kshatriya by a कारन
इसका हिंदी अनुवाद हुआ
राजपूत एक अम्बष्ट द्वारा वैश्या का पुत्र होता है , या एक क्षत्रिय का करण कन्या से पैदा हुआ पुत्र होता है
करण कन्या का मतलब है चारण जाति की एक कन्या जिनके नाम पर आज कल एक सेना बनी हुई है
Ambashtha अम्बष्ट क्या होता है इसके लिए आप पेज नंबर 83 पर देखे यहाँ लिखा है
the offspring of a bramhan and a woman of the vaisya caste
इसका हिंदी अनुवाद हुआ
एक ब्राह्मण और वैश्य जाति की एक स्त्री की संतान
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https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.31959/page/n911
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Jo najayaz usne likhe hai ye article
ReplyDeleteOr dum to shilalekha dekho jiska name wo raja hoga
Gurjar tumhare baap hai
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