कार्दमक(काळे) वंश के महाक्षत्रप रुद्रदामन
महाक्षत्रप रुद्रदामन 'कार्दमक वंशी' पितामह चष्टन का पौत्र थे, जिसे चष्टन के बाद गद्दी पर बैठाया गया था। यह इस वंश का सर्वाधिक योग्य शासक था और इनका शासन काल 130 से 150 ई. माना जाता है। रुद्रदामन एक अच्छे प्रजापालक, कुशल राजनीतिज्ञ, तर्कशास्त्र के विद्वान तथा संगीत के प्रेमी थे । इनके समय में उज्जयिनी(उज्जैन) शिक्षा का बहुत ही महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन चुकी थी।
रुद्रदामन के विषय में विस्तृत जानकारी उनके जूनागढ़ (गिरनार) से शक संवत 72 (150 ई.) के अभिलेख से मिलती है।रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से उनके साम्राज्य के पूर्वी एवं पश्चिमी मालवा, द्वारका के आस-पास के क्षेत्र, सौराष्ट्र, कच्छ, सिंधु नदी का मुहाना, उत्तरी कोंकण आदि तक विस्तृत होने का उल्लेख मिलता है।
इसी अभिलेख में रुद्रदामन द्वारा सातवाहन नरेश दक्षिण पथस्वामी में ही उसे 'भ्रष्ट-राज-प्रतिष्ठापक' कहा गया है।
इसी अभिलेख में रुद्रदामन द्वारा सातवाहन नरेश दक्षिण पथस्वामी में ही उसे 'भ्रष्ट-राज-प्रतिष्ठापक' कहा गया है।
इसने चन्द्रगुप्त मौर्य के मंत्री द्वारा बनवायी गई, सुदर्शन झील के पुननिर्माण में भारी धन व्यय करवाया था।रुद्रदामन कुशल राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त प्रजापालक, संगीत एवं तर्कशास्त्र के क्षेत्र का विद्वान था।
इनके समय में संस्कृत साहित्य का बहुत विकास हुआ था।रुद्रदामन ने सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा अभिलेख (जूनागढ़ अभिलेख) जारी किया। यह लेख संस्कृत काव्य शैली के विकास के अध्यय के लिए महत्वपूर्ण समझा जाता है।पश्चिमी भारत का अन्तिम शक नरेश रुद्रसिंह तृतीय था।
http://vinaykumarmadane.blogspot.in/
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At present only The kadam surname holder are decadent of shak kardamaka in early history of Southern India shak kardamaka established themselves in karnataka as kadamba Rulers
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