गुप्त राजवंश की उत्पति (Origin of Gupta)
गुप्त राजवंश की उत्पति (Origin of Gupta)
गुप्ता अहीर- नाई(Barber. मराठी; न्हावी/नाभिक समाज) जाति के थेI ग्रीक साहित्य में गुप्त राजवंश के संस्थापक को नाई जाति का बताया है | अहीर प्राचीन पशुपालक जाति है | अहीर भारत की सभी जाति में पाए जाते हैंI गुप्त साम्राज्य के संस्थापक श्रीगुप्त मगध के सातवाहन साम्राज्य में सैनिक थेI अपनी वीरता के बलबुते पर उन्होंने मगध सेना में अछी जगह हासिल कीI गुप्त वंश श्रीगुप्त और मगध के कुप्रसिद्ध सातवाहन नरेश चंद्रमासी की पत्नी के वंशज है | अगर एक कुप्रसिद्ध और कदाचित तुलना में वृद्ध नरेश की सुंदर पत्नी नौजवान और वीर पुरुष की ओर आकर्षित होती है तो उसमें कोई विस्मय की बात नहीं हैI यूनानी राजदूत मेगास्थनीज गुप्त वंश को कुलहिना कहते हैंI श्रीगुप्त के पुत्र घटोत्कच का नाम नीचा कुल और शक्ति का प्रतीक है |
गुप्ता अहीर- नाई(Barber. मराठी; न्हावी/नाभिक समाज) जाति के थेI ग्रीक साहित्य में गुप्त राजवंश के संस्थापक को नाई जाति का बताया है | अहीर प्राचीन पशुपालक जाति है | अहीर भारत की सभी जाति में पाए जाते हैंI गुप्त साम्राज्य के संस्थापक श्रीगुप्त मगध के सातवाहन साम्राज्य में सैनिक थेI अपनी वीरता के बलबुते पर उन्होंने मगध सेना में अछी जगह हासिल कीI गुप्त वंश श्रीगुप्त और मगध के कुप्रसिद्ध सातवाहन नरेश चंद्रमासी की पत्नी के वंशज है | अगर एक कुप्रसिद्ध और कदाचित तुलना में वृद्ध नरेश की सुंदर पत्नी नौजवान और वीर पुरुष की ओर आकर्षित होती है तो उसमें कोई विस्मय की बात नहीं हैI यूनानी राजदूत मेगास्थनीज गुप्त वंश को कुलहिना कहते हैंI श्रीगुप्त के पुत्र घटोत्कच का नाम नीचा कुल और शक्ति का प्रतीक है |
श्रीगुप्त के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र चंद्रगुप्त प्रथम कुप्रसिद्ध सातवाहन नरेश चंद्रमासी की हत्या करके शक्तिशाली गुप्त साम्राज्य की नीव डालते है और पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया |(His forefather was named Gupta, meaning the protected alluding to his low caste. Probably an artisan. The Greek records identify the father of Sandrocottus (Chandragupta-1) as a barber , towards whom the Queen was amorous).
This need not be in doubt since the name Ghatotkacha, father of CG I not only indicates a name of lower birth but also a person with great capabilities, especially physical strength. If the Queen of an unpopular and perhaps, old king has loved him, it may be no wonder.
अपनी वीरता के बलबुते एक साधारण व्यक्ति कैसे शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण कर सकता है इसका ये अच्छा उदाहरण है |
हिंदु धर्म और संस्कृत भाषा का विकास गुप्त काल में हुआI नालंदा जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल में हो गई थीI
इतिहासकार डी. आर. रेग्मी के अनुसार गुप्त वंश की उत्पति नेपाल के प्राचीन अहीर-गुप्त राजवंश (गोपाल राजवंश) से हुई थी | इतिहासकार एस. चट्टोपाध्याय ने पंचोभ ताम्र-पत्र के हवाले से कहा कि गुप्त राजा का उद्भव प्राचीन अहीर-गुप्त वंश से हुआ था |
इतिहास:
मौर्य और गुप्त काल भारत का स्वर्ण काल कहा गया हैI इसी शासन काल के कारण उस समय भारत वर्ष सोने की चिड़िया कहलाया। मौर्य शासकों के बाद शक-कुषाण राजाओं का शासन इस देश में रहा, उनमें कनिष्क महान और वीर था। कनिष्क के बाद कोई राजा इतना वीर और शक्तिशाली नहीं हुआ, जो विस्तृत और सुदृढ़ राज्य का गठन करता। इसके परिणाम स्वरुप देश में अनेक छोटे-बड़े राज्य बन गये थे। किसी में राजतंत्र और किसी में जनतंत्र था। राजतंत्रों में मथुरा और पद्मावती राज्य के नागवंश विशेष प्रसिद्व थे । जनतंत्र शासकों में यौधेय, मद्र, मालव और अजुर्नायन प्रमुख थे । उत्तर-पश्चिम के प्रदेशों में शक और कुषाणों के राज्य
थे । मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
मौर्य और गुप्त काल भारत का स्वर्ण काल कहा गया हैI इसी शासन काल के कारण उस समय भारत वर्ष सोने की चिड़िया कहलाया। मौर्य शासकों के बाद शक-कुषाण राजाओं का शासन इस देश में रहा, उनमें कनिष्क महान और वीर था। कनिष्क के बाद कोई राजा इतना वीर और शक्तिशाली नहीं हुआ, जो विस्तृत और सुदृढ़ राज्य का गठन करता। इसके परिणाम स्वरुप देश में अनेक छोटे-बड़े राज्य बन गये थे। किसी में राजतंत्र और किसी में जनतंत्र था। राजतंत्रों में मथुरा और पद्मावती राज्य के नागवंश विशेष प्रसिद्व थे । जनतंत्र शासकों में यौधेय, मद्र, मालव और अजुर्नायन प्रमुख थे । उत्तर-पश्चिम के प्रदेशों में शक और कुषाणों के राज्य
थे । मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में इस अवधि का योगदान आज भी सम्मानपूर्वक स्मरण किया जाता है। कालिदास इसी युग की देन हैं। अमरकोश, रामायण, महाभारत, मनुस्मृति तथा अनेक पुराणों का वर्तमान रूप इसी काल की उपलब्धि है।
महान गणितज्ञ आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर गुप्त काल के ही उज्ज्वल नक्षत्र हैं। दशमलव प्रणाली का आविष्कार तथा वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला ओर धातु-विज्ञान के क्षेत्र की उपलब्धियों पर आज भी लोगों का आनंद और आश्चर्य होता है।
महान गणितज्ञ आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर गुप्त काल के ही उज्ज्वल नक्षत्र हैं। दशमलव प्रणाली का आविष्कार तथा वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला ओर धातु-विज्ञान के क्षेत्र की उपलब्धियों पर आज भी लोगों का आनंद और आश्चर्य होता है।
आरम्भ में इनका शासन केवल मगध पर था, पर बाद में गुप्त वंश के राजाओं ने संपूर्ण उत्तर भारत को अपने अधीन करके दक्षिण में कांजीवरम के राजा से भी अपनी अधीनता स्वीकार कराई। इस वंश में अनेक प्रतापी राजा हुए। कालिदास के संरक्षक सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय इसी वंश के थे। यही 'विक्रमादित्य' और 'शकारि' नाम से भी प्रसिद्ध हैं। नृसिंहगुप्त बालादित्य को छोड़कर सभी गुप्तवंशी राजा वैदिक धर्मावलंबी थे। बालादित्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था।
मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था।
इस राजवंश में जिन शासकों ने शासन किया उनके नाम इस प्रकार है:-
श्रीगुप्त
घटोत्कच
चंद्रगुप्त प्रथम
घटोत्कच
चंद्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त
रामगुप्त
चंद्रगुप्त द्वितीय
कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य
स्कन्दगुप्त
साभार: भारत डिस्कवरी, भारत कोष
Sir
ReplyDeletePlease
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Gupt vansh some Referance Book
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Please sir g
भाई गुप्त एक पाली भाषा का शब्द है जिसका संस्कृत अर्थ गोप ( यादव ) होता है और यादव को ही अभीर ( पाली और प्राकृत भाषा में अहीर ) कहते है , तुम एक कथन में विरोधाभास है वह है कि मेगास्थनीज ने गुप्त वंश को नाई- अहीर बोला है यह एक गलत तथ्य है क्योंकि मेगास्थनीज गुप्त काल से 300 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य के शाशनकाल में आया था और वह 300 साल तक जीवित होकर गुप्त राजवंश का इतिहास लिखा ये तो chutiyapa ही सिद्ध करता है ना भाई? खुद ही सोचो दरअसल वह अहीर नाई गुप्त वंश को नही नन्द वंशी राजा घनानंद को बोला है , जो कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पहले का राजा था और उसी का इतिहास मेगास्थनीज को पता हो सकता है उसके 300 साल बाद का इतिहास उ मरने के बाद लिखा था क्या? गुप्त वंश शुद्ध अहीर / गोप/ यादव थे , जिनका संबंध नेपाल के गोपाल राजवंश से मिलता है और वो सभी यादव गोप ही थे । अहीर मुख्यतया गोपाल और पाल ( वर्तमान यादव और गडरिया *चरवाह जातियां ) में पाए जाते है जिनके पूर्वज चंद्रवंशी राजा महाराज यदु थे । जिनके वंशज यादव कहलाए, इसी मे आगे चलकर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, इस प्रकार देखा जाय तो वर्तमान गडरिया और यादव दोनो सगे भाई है, बंगाल, उड़िशा और दक्षिण भारत में आज भी दोनो एक ही है।
DeleteKya aapka koi video h utube par
ReplyDeleteArjun Singh पालवंशी
ReplyDeleteगडीरय
Bc. Madharchod Bhosidi wala Ahir /yadav ek Alag cast hai.. Gupt vansh k sansthapk Ahir /Yadav the.. नाई nahi
ReplyDeleteय
Deleteभाई गुप्त एक पाली भाषा का शब्द है जिसका संस्कृत अर्थ गोप ( यादव ) होता है और यादव को ही अभीर ( पाली और प्राकृत भाषा में अहीर ) कहते है , तुम एक कथन में विरोधाभास है वह है कि मेगास्थनीज ने गुप्त वंश को नाई- अहीर बोला है यह एक गलत तथ्य है क्योंकि मेगास्थनीज गुप्त काल से 300 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य के शाशनकाल में आया था और वह 300 साल तक जीवित होकर गुप्त राजवंश का इतिहास लिखा ये तो chutiyapa ही सिद्ध करता है ना भाई? खुद ही सोचो दरअसल वह अहीर नाई गुप्त वंश को नही नन्द वंशी राजा घनानंद को बोला है , जो कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पहले का राजा था और उसी का इतिहास मेगास्थनीज को पता हो सकता है उसके 300 साल बाद का इतिहास उ मरने के बाद लिखा था क्या? गुप्त वंश शुद्ध अहीर / गोप/ यादव थे , जिनका संबंध नेपाल के गोपाल राजवंश से मिलता है और वो सभी यादव गोप ही थे
Deleteगुप्त तेली वंश~
ReplyDeleteसन 1987 में में जब O Malli गज़ेटियर के लिए विभिन्न जातियों का सर्वेक्षण कर रहे थे तब उस वक़्त पटना जिले मेंतेलियों की संख्या 42378 थी तेल का उत्पादन और उनको बेचने की पुश्तैनी कारोबार पर उनका एकाधिकार था इसके अतिरिक्त उनकी बड़ी आबादी अनाज और पैसों के लेन-देन के कारोबार में भी लगी हुई थी अतीत में पटना जिले में तेली बहुत ही शक्तिशाली थे इतिहासकारों के मुताबिक बिहार शरीफ के निकट तेल्हारा उनकी शक्ति का केंद्र था तेल्हारा विश्वविद्यालय नालंदा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी पुराना है यहां बौद्ध बिहार भी था बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग अपनी यात्रा के क्रम में यहां आया था उसने तेल्हारा को तेलधका नाम से याद किया है नालंदा विश्वविद्यालय के विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण तेल धका यानी तेलहारा तेलीवंश के प्रमुख बालादित्य गुप्त ने करवाया था तेली जाति के ही एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा की स्थापना की थी वह अब स्थान तेलिया भंडार कहलाता है तीतरवन में भी उन्होंने बुद्ध की विशाल प्रतिमा की स्थापना की विंग सांग 6 वर्षों तक नालंदा विश्वविद्यालय मैं अध्ययन किया था वह अपने साथ भारत से 657 पुस्तकों की पांडुलिपियां अपने साथ ले गया था उन्होंने आगे लिखा है करीब-करीब जिले के सभी प्रकार के कारोबार इन तेलियों के हाथों में ही है पर उनका पूरा नियंत्रण है!
तेली जाति की महानता को ब्राम्हण मनु वादियों एवं अन्य लोगों ने दबाने का काम किया है तेली जाति इतने मजबूत हैं कि लोगों को डर लगता है इसीलिए ब्राह्मण लोगों ने तेली जाति के विरुद्ध तरह-तरह की दुष्प्रचार समाज में किया अभी भी इजराइल हो या अन्य अरेबियन कंट्री वहां तेल के कारोबार पूरे दुनिया में नंबर वन है सभी तेली है जय समुद्रगुप्त जय गुप्त वंश जय मोदी
Deleteपोस्ट मे ऊपर नाई अहीर गुप्त वंश लिखा है देखो
Deleteभाई गुप्त एक पाली भाषा का शब्द है जिसका संस्कृत अर्थ गोप ( यादव ) होता है और यादव को ही अभीर ( पाली और प्राकृत भाषा में अहीर ) कहते है , तुम एक कथन में विरोधाभास है वह है कि मेगास्थनीज ने गुप्त वंश को नाई- अहीर बोला है यह एक गलत तथ्य है क्योंकि मेगास्थनीज गुप्त काल से 300 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य के शाशनकाल में आया था और वह 300 साल तक जीवित होकर गुप्त राजवंश का इतिहास लिखा ये तो chutiyapa ही सिद्ध करता है ना भाई? खुद ही सोचो दरअसल वह अहीर नाई गुप्त वंश को नही नन्द वंशी राजा घनानंद को बोला है , जो कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पहले का राजा था और उसी का इतिहास मेगास्थनीज को पता हो सकता है उसके 300 साल बाद का इतिहास उ मरने के बाद लिखा था क्या? गुप्त वंश शुद्ध अहीर / गोप/ यादव थे , जिनका संबंध नेपाल के गोपाल राजवंश से मिलता है और वो सभी यादव गोप ही थे ,
Deleteआज के गुप्त जो वणिक जातियों में उपयोग किए जाते हैं वह पाली भाषा के गुप्त से नहीं , संस्कृत भाषा के गुप्तन शब्द से आए हैं जिसका अर्थ होता है छिपाना , वणिक लोग अपना पैसा छिपाकर रखते इसीलिए उनके लिए गुप्ता उपयोग होता है, गुप्त वंश ( संस्कृत गोप राजवंश) से तुम्हारा कोई लेना देना नही इसके लिए आप archeological survey of India ka report 1861-1862, a cultural analysis of Chhattisgarh: the cattle and the stick, Yogi Adityanath ki पुस्तक , नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र पढ़ सकते हो
As per new research by great historian Dr. K.p. jaiswal gupt dynasty was dharans reference .. Parbhavati gupt daughter of chandragupt2nd mentioned her gotra in pune copper plate and ridhpur inscriptions at the time of her marriage to rudrasen 2nd. Dharam gotra Jat. Second reference is from arya manjushri mul kalp. That says that gupts were governors of mathura. Phrases says that .. Mathurayam jato vamsha. Therefore other concocted stories ara false.
ReplyDeleteSale.. Jaiswal to khud ko haihaiya vanshi bolta hai.. Ur ur raja haihaiya yadav the.. Shahastrabahu arjun unhi k vansaj the.. Pta kr le
DeleteMaurya kisi jati ka name nahi hai, mura ke name se maurya yesak, sakya kshatriya hai, bhudd ka anusaran karane wale the esiliye brahman ne enake etihas ko tod maror ke dikhaya
ReplyDeleteHai
Gupta was Nai Rajavansh The Gupta dynasty Kings were of Nai caste as they were Ahirwar by gotra Ahirwar is surname in Nai caste
ReplyDeleteGupta empire was Nai Rajavansh empire as Gupta dynasty Kings were of Nai caste Gupta Dynasty Kings gotra was Ahirwar Ahirwar is gotra in Nai caste
ReplyDeleteBc.. Bhosidi k ahirwar aaj kl chamar likhne lga hai.. Ahiro k najayaj aulad n apne bap( ahir) k nam ko hi ahirwar kr diya.. Bc
DeleteBossdi k nai ka Kam balbari ka hai sale ye kb Se raja hue kmine tu nai ya ahir hi hoga pakka
ReplyDeleteGupt ya gupta name ek hi h vaishy vansh vanik vansh ha
ReplyDeleteमौर्य एज उपाधी है जाती नही जैसे शिवाजी महराज को छत्रपति जैसे भीम राम जी राव को अम्बेडकर यह सब उपाधी है गुप्ता वंश तेली है पुष्यमित्र शुंग जैसे लोग हमारी शिक्षा को संस्कृती को बदला हमारी शिक्षा को संस्कृती को नष्ट ही नही किए यह मनुवादी ही पाली भाषा ब्रम्हलिपी संस्कृत भाषा को मिटाने के लिए अभीयान चलाए मगर सत्य कभी पराजीत नही होता एक पाठक ने पुरे भारत मे 50 लाख सुलभ सौचालय खोलकर दिया ब्राह्मण को रोजगार क्या ब्राह्मण का लेटरीग साफ करने का जाती है तेली जाती नही पेसा हर समाज के लोग अपनी जीवीका चलाने के लिए कार्य करते थे हर समाज का एक वंश होता था कोई बड़ा जाती छोटा जाती नही था तेली जाती नही पेशा गुप्त वंश था जो हर कार्य करने मे मेहन्त करता था तेल बेचने खेली करने मजदूरी करने ब्यपार करने धर्मशाला निर्माण करने धर्म का प्रचार करने जैन हो या बौध्द सबको सम्मान पुष्यमित्र शुंग जैसे आंतकवादी राक्षस को भी सम्मान दिया यह हरामी कितने नालंदा तक्षशिला ब्रिक्रमशिला विश्वविद्यालय खुलवाकर दुनिया को शिक्षा दिलवाई जब हमारी संस्कृती जो चन्द्रगुप्त वंश ने संस्कृत भाषा अपने रियासत मे लागू किए वह भाषा तक को पढ़ने नही दिए महात्मा गाँधी तेली जाती का चोला पंडित नेहरू परिवार ने धारण कर लिए कल महात्मा गांधी तेली भी ब्राह्मण बन जातें सत्य को पहचाने हम भारत के मुल निवासी है अजादी के बाद भी हम जाती प्रमाण पत्र निकाल कर अपने को छोटी जाती बताते भारत के संविधान और सरकार मोहर मार कर हमे निच जाती का प्रमाण देती है चलो चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक एक ही वंश के है उनका जाती प्रमाण पत्र निकाल कर भारत के संविधान से वह निच जाती के थे इसका प्रमाण भारत की संविधान या #narendramodi जी या #Suprimcourt देगां यह छोड़ीए जो अम्बेडकर जी बौध्द बन गय उनका जाती प्रमाण पत्र निच जाती का देंगा भारत सरकार निवेदन है सत्य को समझे तेली पेसा जाती नही तेली गुप्त वंश है जय मां भारती
ReplyDeleteAbe bhosidi k.. Gupta rajvansh teli ka rajvansh nhi tha.. Kahi bhi kisi bhi itihaskar ka book.. Ya archeological serve.. Ya gazzetiyar m dekh lena ye yadavo(ahir) ka rajvansh tha. Teli jati n bad m ye title likhne lga
DeleteMadhar chod kyo teliyon Ko apna bap Bana Raha hai
Deleteमौर्य एज उपाधी है जाती नही जैसे शिवाजी महराज को छत्रपति जैसे भीम राम जी राव को अम्बेडकर यह सब उपाधी है गुप्ता वंश तेली है पुष्यमित्र शुंग जैसे लोग हमारी शिक्षा को संस्कृती को बदला हमारी शिक्षा को संस्कृती को नष्ट ही नही किए यह मनुवादी ही पाली भाषा ब्रम्हलिपी संस्कृत भाषा को मिटाने के लिए अभीयान चलाए मगर सत्य कभी पराजीत नही होता एक पाठक ने पुरे भारत मे 50 लाख सुलभ सौचालय खोलकर दिया ब्राह्मण को रोजगार क्या ब्राह्मण का लेटरीग साफ करने का जाती है तेली जाती नही पेसा हर समाज के लोग अपनी जीवीका चलाने के लिए कार्य करते थे हर समाज का एक वंश होता था कोई बड़ा जाती छोटा जाती नही था तेली जाती नही पेशा गुप्त वंश था जो हर कार्य करने मे मेहन्त करता था तेल बेचने खेली करने मजदूरी करने ब्यपार करने धर्मशाला निर्माण करने धर्म का प्रचार करने जैन हो या बौध्द सबको सम्मान पुष्यमित्र शुंग जैसे आंतकवादी राक्षस को भी सम्मान दिया यह हरामी कितने नालंदा तक्षशिला ब्रिक्रमशिला विश्वविद्यालय खुलवाकर दुनिया को शिक्षा दिलवाई जब हमारी संस्कृती जो चन्द्रगुप्त वंश ने संस्कृत भाषा अपने रियासत मे लागू किए वह भाषा तक को पढ़ने नही दिए महात्मा गाँधी तेली जाती का चोला पंडित नेहरू परिवार ने धारण कर लिए कल महात्मा गांधी तेली भी ब्राह्मण बन जातें सत्य को पहचाने हम भारत के मुल निवासी है अजादी के बाद भी हम जाती प्रमाण पत्र निकाल कर अपने को छोटी जाती बताते भारत के संविधान और सरकार मोहर मार कर हमे निच जाती का प्रमाण देती है चलो चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक एक ही वंश के है उनका जाती प्रमाण पत्र निकाल कर भारत के संविधान से वह निच जाती के थे इसका प्रमाण भारत की संविधान या #narendramodi जी या #Suprimcourt देगां यह छोड़ीए जो अम्बेडकर जी बौध्द बन गय उनका जाती प्रमाण पत्र निच जाती का देंगा भारत सरकार निवेदन है सत्य को समझे तेली पेसा जाती नही तेली गुप्त वंश है जय मां भारती
ReplyDeleteइन्दर लाल साहु तेली मेरा पेसा वंश गुप्त मेरा पेज है उत्पीड़न और नक्सलवाद के खिलाफ अखिल भारती संगठन चण्डीगढ़
कोई भी जाति के हों पर महान भारतीय थे,इन महापुरुषों को जाती में नही बाटना चाहिए,,,आज जातिवादीयो को सब पता है कौन किस जाति का है अगर पूंछ लिया जाए कि राम रहीम किस जाति के थे,,आशाराम,रामपाल,वीरेंद्र देव दीक्षित,कुलदीप सेंगर,चिन्मयानंद,,किस जाति के है तो जानते हुए,,कोई नही कहेगा कि मेरी जाती के है,,इसीलिए सभी महा पुरुष भारतीय है और सभी के है जय हिंद
ReplyDeleteहम भुजी जाति से और हमारा पैसा चना फार्मर मूंगफली लाइयां वह बुनकर उसका व्यापार करना है हर सनातन धर्म में हमारे हाथ का बना हुआ चढ़ावा प्रसाद संसार के समस्त धर्म स्थलों पर चढ़ाया जाता है
ReplyDeleteMaadrchod गुप्त वंश की उत्पत्ति नेपाल गोप यादव राजवंश से हुई थी
ReplyDeleteइन्हीं गुप्त के पूर्वजों ने नेपाल में 538 वर्ष तक शासन किया था
भुक्तामान गोप ने गुप्त की उपाधि धारण कर ली थी
उन्ही ने नेपाल का पशुपति नाथ मंदिर बनवाया था
इस ब्लॉग पोस्ट को लिखने वाला maadrchod
अहीर को नाई से जोड़ रहा है maadrchodo
इतिहास चुराना तो ठीक बाप भी बदल रहे हो maadrchodo
भाई में request कर रहा हूं आप नाई को हटाए दे नहीं है इतना ठोंकी ना पते ना चली हम उस यदुवंशी महाराज यदु का वंश है साले में भी वेबसाइट Develop कर्ता साले edit kar
Deleteगुप्त बंश एक हिन्दू राजवंश था जिसके काल मे संस्कृति ने विकास किया । सिर्फ हिन्दू कोई जाति नही
ReplyDeleteभाई गुप्त एक पाली भाषा का शब्द है जिसका संस्कृत अर्थ गोप ( यादव ) होता है और यादव को ही अभीर ( पाली और प्राकृत भाषा में अहीर ) कहते है , तुम एक कथन में विरोधाभास है वह है कि मेगास्थनीज ने गुप्त वंश को नाई- अहीर बोला है यह एक गलत तथ्य है क्योंकि मेगास्थनीज गुप्त काल से 300 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य के शाशनकाल में आया था और वह 300 साल तक जीवित होकर गुप्त राजवंश का इतिहास लिखा ये तो chutiyapa ही सिद्ध करता है ना भाई? खुद ही सोचो दरअसल वह अहीर नाई गुप्त वंश को नही नन्द वंशी राजा घनानंद को बोला है , जो कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पहले का राजा था और उसी का इतिहास मेगास्थनीज को पता हो सकता है उसके 300 साल बाद का इतिहास उ मरने के बाद लिखा था क्या? गुप्त वंश शुद्ध अहीर / गोप/ यादव थे , जिनका संबंध नेपाल के गोपाल राजवंश से मिलता है और वो सभी यादव गोप ही थे
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