'धनगर'- (संस्कृत-'धन-आगर', English-'House of wealth', हिंदी-'धन/ संपत्ती का भांडार', मराठी-'धनाचे आगार')
'धनगर'- (संस्कृत-'धन-आगर',
English-'House of wealth', हिंदी-'धन/ संपत्ती का भांडार', मराठी-'धनाचे आगार') मतलब विभिन्न कुल के अनेक पशुपालक जनजातीयो का एक अतिप्राचीन समूह है | प्राचीन समय में संपत्ती (धन) पशुओं की खासकर गायों कि संख्या से मापा जाता था | धनगर जनसमुह कि जनजातीया पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैली हुई है | 'धनगर' जनसमूह अलग-अलग जनजातियो में बटा हुआ है |
2) संशोधको के मुताबिक 'धनगर' जनसमूह भारत के अनेक जनजातीयो के पूर्वज माने जाते है | पशुपालक जनजातियो को घुमंतूक, टोली, गिरीजन ऐसे अलग-अलग नाम दिये गये है | 'धनगर' यह नाम 'राष्ट्रीय परिभाषा' में अधिक प्रचलित हो गया है |
3) धनगर नाम सिर्फ कुछ लोगो के समुहो का नही है बल्कि वह सारे पशुपालक जनसमुहो के संघ का नाम है. जैसे भारत देश अनेक राज्यो का एक संघ है वैसे ही धनगर अनेक प्राचीन जनजातियो एक संघनाम है.
4) हमारे जनजातियो एक नामो पर हमे गर्व जरुर होना चहिये चाहे वो हाटकर हो या गडरिया लेकिन राष्ट्रिय मंच पर काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 'धनगर' नाम योग्य लगता है क्योकि उसका सिधा मतलब है सारे पशुपालक योद्धा अपने पशुओ को धन मानते है. इसलिये धनगर चाहे परंपराये कितनी भी अलग हो लेकिन ये उद्देश्य तो एक ही है.
5) (हट्टी/हाटक/हाटकर, पाला/पल्ली/पाली, अवर/अभिरा/अहिर, गोजर/ गुर्जर/गुज्जर, आरट्टा/रथ/रट्टा/महरट्टा, कुरु//कुरुव/कुरुबा, यदु/येदुगर/यादवा, गढआर्य/गाढरी/गढरीया) इन सभी जनसमूहो के पुख्ता सबूत अतिप्राचीन से अस्तित्व में है, जो शिलालेख और ग्रन्थो में मिलते है ! ये सारे पशुपालक के नाम आज भी अस्तित्व में है, पशुओ को इन सभी ने अपना धन माना है, सिर्फ इसीलिये धनगर नाम पर्याप्त है. प्राचीन काल के सबूत मेरे पास उपलब्ध है.
2) संशोधको के मुताबिक 'धनगर' जनसमूह भारत के अनेक जनजातीयो के पूर्वज माने जाते है | पशुपालक जनजातियो को घुमंतूक, टोली, गिरीजन ऐसे अलग-अलग नाम दिये गये है | 'धनगर' यह नाम 'राष्ट्रीय परिभाषा' में अधिक प्रचलित हो गया है |
3) धनगर नाम सिर्फ कुछ लोगो के समुहो का नही है बल्कि वह सारे पशुपालक जनसमुहो के संघ का नाम है. जैसे भारत देश अनेक राज्यो का एक संघ है वैसे ही धनगर अनेक प्राचीन जनजातियो एक संघनाम है.
4) हमारे जनजातियो एक नामो पर हमे गर्व जरुर होना चहिये चाहे वो हाटकर हो या गडरिया लेकिन राष्ट्रिय मंच पर काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 'धनगर' नाम योग्य लगता है क्योकि उसका सिधा मतलब है सारे पशुपालक योद्धा अपने पशुओ को धन मानते है. इसलिये धनगर चाहे परंपराये कितनी भी अलग हो लेकिन ये उद्देश्य तो एक ही है.
5) (हट्टी/हाटक/हाटकर, पाला/पल्ली/पाली, अवर/अभिरा/अहिर, गोजर/ गुर्जर/गुज्जर, आरट्टा/रथ/रट्टा/महरट्टा, कुरु//कुरुव/कुरुबा, यदु/येदुगर/यादवा, गढआर्य/गाढरी/गढरीया) इन सभी जनसमूहो के पुख्ता सबूत अतिप्राचीन से अस्तित्व में है, जो शिलालेख और ग्रन्थो में मिलते है ! ये सारे पशुपालक के नाम आज भी अस्तित्व में है, पशुओ को इन सभी ने अपना धन माना है, सिर्फ इसीलिये धनगर नाम पर्याप्त है. प्राचीन काल के सबूत मेरे पास उपलब्ध है.
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