गौतम ऋषि और देवी अहिल्या
गौतम ऋषि और देवी अहिल्या
अंग,पौंड्र/पुण्डरीक, वंग ,औंड्र, शबर, मुतीब , सिंहला ई. ५० पुत्र राजा बालि के दत्तक पुत्र थेI उनमें से कुछ पुत्र ऋषि विश्वामित्र, कुछ पुत्र ऋषि गौतम और कुछ पुत्र ऋषि शृंगा के वंशज थेI ऋषि शृंगा के पुत्र सेंगर कहलायेI बालि का पालन-पोषण गौतम ॠषि की पत्नी अहिल्या ने किया।अंगद लक्ष्मण जी के बेटे थेI लक्ष्मण जी के वंशज प्रतिहार कहलायेI
अंग,पौंड्र/पुण्डरीक, वंग ,औंड्र, शबर, मुतीब , सिंहला ई. ५० पुत्र राजा बालि के दत्तक पुत्र थेI उनमें से कुछ पुत्र ऋषि विश्वामित्र, कुछ पुत्र ऋषि गौतम और कुछ पुत्र ऋषि शृंगा के वंशज थेI ऋषि शृंगा के पुत्र सेंगर कहलायेI बालि का पालन-पोषण गौतम ॠषि की पत्नी अहिल्या ने किया।अंगद लक्ष्मण जी के बेटे थेI लक्ष्मण जी के वंशज प्रतिहार कहलायेI
इतिहासकरो का मानना है कि इन गुर्जरो ने भारत को अरब हमलो से लगभग ३०० साल तक बचाया था, इसलिए प्रतिहार (रक्षक) नाम पडा|यद्यपि राष्ट्रकुट्टो, जो कि गुर्जरो के शत्रु थे, ने अपने अभिलेखो इन्हे उन्के किसी एक यज्ञ का प्रतिहार (रक्षक) बताया है|गुर्जर प्रतिहारो का पालवन्श तथा राष्ट्रकुट्ट राजवन्श के साथ कन्नोज को लेकर युध होता था|
कभी कभी अगर हम नागवंश को सुर्यवंश कहे तो गलत नही होगा क्योंकि सूर्यवंशी प्रभु श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण जी शेषनाग थेI
नागवंशी का इतिहास: नागवंशीयों का इतिहास बड़ा गौरवशाली रह हैI ऋषि पुण्डरीक (पुंडलिक), भगवान गौतम बुद्ध(ऋषि गौतम के वंशज), गौतमी (राजा सातकर्णि की माता),भगवान विट्ठल एवं बिरोबा नागवंशी थेI
धनगर मौर्य,औंड्र,गुर्जर,क्षहरात(पल्लव/पौंड्र/खरात), कर्दम(ऋषि कर्दम के वंशज), होळकर, शिंदे, सुळ, पिंगळे नाग लोक हैI
देवी अहिल्या:
रामायण की एक पात्र, प्रातः स्मरणीय पंचकन्या में से एक। ये गौतम ऋषि की पत्नी थी। इंद्र द्वारा छल पूर्वक किए गए शीलहरण की सज़ा अहिल्या को भी भुगतनी पड़ी। ऋषि ने उसे शिला बन जाने का शाप दे दिया। इससे मुक्ति का उपाय राम का चरण स्पर्श था। त्रेता युग में अवतार लेकर जब राम ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुरी पहुँचे तो वहाँ उन्होंने गौतम ऋषि का आश्रम भी देखा। वहीं राम के चरण स्पर्श से अहिल्या शाप मुक्त होकर पुनः मानवी बन गई।
रामायण की एक पात्र, प्रातः स्मरणीय पंचकन्या में से एक। ये गौतम ऋषि की पत्नी थी। इंद्र द्वारा छल पूर्वक किए गए शीलहरण की सज़ा अहिल्या को भी भुगतनी पड़ी। ऋषि ने उसे शिला बन जाने का शाप दे दिया। इससे मुक्ति का उपाय राम का चरण स्पर्श था। त्रेता युग में अवतार लेकर जब राम ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुरी पहुँचे तो वहाँ उन्होंने गौतम ऋषि का आश्रम भी देखा। वहीं राम के चरण स्पर्श से अहिल्या शाप मुक्त होकर पुनः मानवी बन गई।
वालि (संस्कृत) या बालि(असुर राज महाबलि नही) रामायण का एक पात्र है। वह सुग्रीव का बड़ा भाई था। वह किष्किन्धा (दक्षिण भारत ) का राजा था तथा इन्द्र का पुत्र बताया जाता है। विष्णु के अवतार राम ने उसका वध किया। वालि का पालन-पोषण गौतम ॠषि की पत्नी अहिल्या ने किया।अंगद लक्ष्मण जी के बेटे थेI
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