‪‎नन्द‬ वंश



‪#‎नन्द‬ वंश। को सूद्र या नाई नाम देने वाले आर्य\ब्राह्मण थे ई.पू.में जात नही वंश होती थी।जात की विभाजन १८५ के बाद से शुरू हुई है।नंद वंश मगध, बिहार का लगभग 343 - 321 ई॰पू॰ के बीच का शासक वंश था, जिसका आरंभ महापद्मनंद या उग्रसेन से हुआ था।
‪#‎नंदवंश‬ प्राचीन भारत का एक राजवंश था जिसने पाँचवीं-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया।
इतिहास की जानकारी के अनेक विवरण पुराणों, जैन और बौद्ध ग्रंथों एवं यूनानी इतिहासकारों के वर्णन में प्राप्त होते हैं। तथापि इतना निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि नंदों का एक राजवंश था जिसकी अधिकांश प्रकृतियाँ भारतीय शासन परंपरा की थी। कर्टियस कहता है कि सिकंदर के समय वर्तमान नंद वास्तव में एक किसान वंश से था।
‪#‎नंद‬ वंश मगध, बिहार का लगभग 343 - 321 ई॰पू॰ के बीच का शासक वंश था, जिसका आरंभ महापद्मनंद या उग्रसेन से हुआ था।
‪#‎स्थानीय‬ और जैन परम्परावादियों से पता चलता है कि इस वंश के संस्थापक उग्रसेन या महापद्म, जिन्हें महापद्मपति या उग्रसेन भी कहा जाता है
यूनानी लेखकों ने भी इस की पुष्टि की है।
‪#‎उग्रसेन‬ या महापद्म ने अपने पूर्ववर्ती शिशुनाग राजाओं से मगध की बाग़डोर और सुव्यवस्थित विस्तार की नीति भी जानी। उनके साहस पूर्ण प्रारम्भिक कार्य ने उन्हें निर्मम विजयों के माध्यम से साम्राज्य को संगठित करने की शक्ति दी।
‪#‎पुराणों‬ में उन्हें सभी क्षत्रियों का संहारक बतलाया गया है। उन्होंने उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत स्थित इक्ष्वाकु, पांचाल, काशी, हैहय, कलिंग, अश्मक, कौरव, मैथिल, शूरसेन और वितिहोत्र जैसे शासकों को हराया। इसका उल्लेख स्वतंत्र अभिलेखों में भी प्राप्त होता है, जो नन्द वंश के द्वारा गोदावरी घाटी- आंध्र प्रदेश, कलिंग- उड़ीसा तथा कर्नाटक के कुछ भाग पर कब्ज़ा करने की ओर संकेत करते हैं।
‪#‎इस‬ वंश के शासकों की राज्य-सीमा व्यास नदी तक फैली थी। उनकी सैनिक शक्ति के भय से ही सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था।
किंतु इस वंश का अंतिम शासक घनानंद बहुत दुर्बल और अत्याचारी था।
#इस वंश में कुल नौ शासक हुए - महापद्मनंद और बारी-बारी से राज्य करने वाले उसके आठ पुत्र।इन दो पीढ़ियों ने 40 वर्ष तक राज्य किया।
‪#‎सिकंदर‬ के काल में नंद की सेना में लगभग 20,000 घुड़सवार, 2,00,000 पैदल सैनिक, 2000 रथ और 3000 हाथी। प्रशासन में नंद राज्य द्वारा उठाए गए क़दम कलिंग (उड़ीसा) में सिचाई परियोजनाओं के निर्माण और एक मंत्रिमंडलीय परिषद के गठन से स्पष्ट होते हैं।


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