खंडोबा कौन था
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक डॉ. रामचंद्र चिंतामण
ढेरे (Dr.R.C.Dhere) के अनुसार कन्नड़ लोक देवता मैलार और उसकी पत्नी मल्लावी की भगवान शिव और पार्वती
के रूप मे पूजा होती थीI मैलार का अपभ्रंष मल्हार हैI लोक देवता ऐसे देवता, राजा, सन्त, प्रसिद्ध या ऐतिहासिक व्यक्ति हैं जिनकी किसी क्षेत्र
विशेष में मान्यता है।मैलार
देवता का प्रसार महाराष्ट्र
मे कन्नड़ व्यापारी द्वारा हो गयाI
धनगर समाज की लोक देवता खंडोबा है जो समाज का वीर पुरुष होता थाI धनगर लोग उसे शिव का ही एक रूप मानते थेI प्राचीन काल से धनगर लोग भगवान शिव के निस्सीम भक्त रहे हैI खंडोबा का मतलब जिसके हाथ मे तलवार(खंडा) है वो धनगर वीर पुरुषI उसको ही बाद में (राठौड) कहा गयाI मल्हार के हाथ मे तलवार होने के कारण वो खंडोबा कहा गयाI
प्राकृत
भाषा मे रट्ठ का मतलब है विभागI सातवाहन काल में दख्खन प्रांत में रट्ठ विभाग का प्रमुख या सरदार होता थाI उसको ही रट्ठहोड़(राठौड) कहा गयाI डॉ. रामचंद्र चिंतामण
ढेरे के अनुसार इंदौर के होलकर राठौड वंश के हैI राठौड प्राचीन धनगर कुल कोकरे वंश के हैI प्राकृत महारट्ठ
का संस्कृत रूप है महाराष्ट्रI
खंडोबा ओबीसी,धनगर ,मराठा और ब्राह्मण ईन सभी जाति की कुलदेवता हैI
खंडोबा ओबीसी,धनगर ,मराठा और ब्राह्मण ईन सभी जाति की कुलदेवता हैI
मै श्री.गणपतराव कोळेकर जी (प्राचीन धनगर कूळ गोत्र,१९९२) को धन्यावाद देना चाहता हूँ क्यूंकि
कोळेकर जी के धनगर कूळ गोत्र के सही संशोधन की वजह से मेरे आगे के संशोधन को सही दिशा मिल गयीI बिना सही कूळ गोत्र के सहारे प्राचीन धनगर इतिहास का सही संशोधन बहुत ही मुश्किल काम थाI
कोळेकर जी को इस काम मे मेंढजोगी
और भाट लोगों की बहुत सहायता मिल गयीI भाट और मेंढजोगी लोगों के पास धनगर योध्दाओं
और राजाओं का लिखित इतिहास और वंशावली
रहती हैI भाट और मेंढजोगी लोग प्राचीन
काल से धनगर योध्दाओं
के साथ ही रहते थेI
चारण और भाट भारत की वे दो अलग अलग गुण -कर्म धर्म वाली जातियाँ हैं - एक चारण राजाओं की वीरता और अच्छे कर्मों के प्रशंसा अपने काव्यों
द्वारा करते है दो -भाट जो जाति के अनुसार मृत लोगों की वंशावली
रखते हैं और संबन्धित
जाति को ही सुनाते हैं के कार्य के लिये जाने जाते हैं।
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