प्रतिहार(परिहार/परमार/पंवार),चौहान,सोलंकी ये अग्निवंश गुर्जरों के वंश हैI:डॉ.देवदत्त रामचंद्र भंडारकर
प्रतिहार(परिहार/परमार/ पंवार),चौहान,सोलंकी ये अग्निवंश गुर्जरों के वंश हैI:डॉ.देवदत्त रामचंद्र भंडारकर
गुर्जरों की वंशावली
राजा/ऋषि विश्वामित्रा-कौशिक- नागा पुण्डरीक/ पुंडलिक राजा/ऋषि- पुंड्र/ औंड्र धनगर- राजा विट्ठल -गवली धनगर,हट्टी हटकर और गुर्जर- खखरात (क्षहरात), शिंदे और सुळे- शालिवाहन- पुंडीर- परिहार/ गुर्जर प्रतिहार वंश-गुर्जर सम्राट मिहिर भोज- छत्रपति शिवाजी.
परमार मोरी/मौर्यों के वंशज हैI मौर्य लक्ष्मणजी के (सुर्यवंश/ नागवंश/ शेषवंश) के वंशज हैIप्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हें श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का वंशज बताया गया है, जो श्रीराम के लिए प्रतिहार (द्वारपाल) का कार्य करते थे।
इतिहासकरो का मानना है कि इन गुर्जरो ने भारत को अरब हमलो से लगभग ३०० साल तक बचाया था, इसलिए प्रतिहार (रक्षक) नाम पडा|यद्यपि राष्ट्रकुट्टो, जो कि गुर्जरो के शत्रु थे, ने अपने अभिलेखो इन्हे उन्के किसी एक यज्ञ का प्रतिहार (रक्षक) बताया है|गुर्जर प्रतिहारो का पालवन्श तथा राष्ट्रकुट्ट राजवन्श के साथ कन्नोज को लेकर युध होता था|
कभी कभी अगर हम नागवंश को सुर्यवंश कहे तो गलत नही होगा क्योंकि सूर्यवंशी प्रभु श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण जी शेषनाग थेI
(पुंडलिक) गोत्र के नागवंशी शक- सुळ, खरात और शिंदे माउंट आबू, राजस्थान के अग्निकुंड के बाद अग्निवंशी परिहार(संस्कृत प्रतिहार) कहलायेंI सरगरा और चालुक्य प्राचीन अग्निवंशी क्षत्रिय हैI इन का जन्म यज्ञकुंड से हुआ हैI सरगरा चौहान और चालुक्य सोलंकी कहलायेंI
मौर्यों ने बोद्ध धर्म अपनाया थाI यज्ञ करके उन्हें उन्हें हिन्दू धर्म में प्रवेश दिया गया थाI यज्ञ उसके बाद मौर्य अग्निवंशी परमार कहलायेंI
शकों और यूरेशियन ब्राह्मणों को विदेशी समझकर यज्ञ करके उन्हें हिन्दू धर्म में प्रवेश दिया गया थाI चित्पावन ब्राह्मण का मतलब है अग्नि से पावन होनाI
गुर्जर:गुर्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। मुख्यत: गुर्जरउत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।
सम्राट मिहिर भोज ने गुर्जरत्रा (गुजरात क्षेत्र) (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि (राजस्थान का कुछ भाग) पर भी पुनः अपना प्रभुत्व स्थापित किया, लेकिन एक बार फिर गुर्जर प्रतिहारों को पाल तथा राष्ट्रकूटों का सामना करना पड़ा।
Origin of Paramara: The ancient inscriptions in the Pali Buddhist character have been discovered in various parts of Rajasthan of the race of Taxak(Naga) or Tak, relating to the tribe Mori and Parmara are their descendants. Taxak (Naga) Mori was the lord of Chittor from very early period. The Huna Kingdom of Sialkot (of Mihir Kula 515-540 AD), destroyed by Yashodharman, was subsequently seized by a new dynasty of kshatriyas called Tak or Taxaka. The Taxak Mori as being lords of Chittor from very early period and few generations after the Guhilots supplanted the Moris. (725-35)
Mori:
The Mori clan is one of the 36 royal clans of Rajputs & falls in 24 eka clans which are not divided further. Mori Rajputs are sub clan of Parmara Rajputs of Agnivansh. They ruled Chittor & Malwa till early part of eighth century & built the biggest fort in India at Chittor in the reign of Chitrangad Mori (Ref: Archaeological survey of India)). Last king of Mori Dynasty of Chittor was Maan Singh Mori who fought against Arab invasion. Qasim attacked Chittor via Mathura. Bappa, of guhilote (Sisodia) dynasty, was a commander in Mori army. After defeating Bin Qasim, Bappa Rawal obtained Chittor in dowry from Maan Singh Mori in 734 A.D. Then onwards Chittor is ruled by Sisodia Rajputs.Later Mori & Parmar Rajputs continued to rule Malwa until Muslim incursions. Of late they remained as smaller royal states & jagirdars in the central India in present state of Madhya Pradesh, presently settled in Dhar, Ujjain, Indore, bhopal, Narsinghpur & Raisen.
भैंस चोर कबसे राजाओ के वंशज होने लग गए
ReplyDeleteअसली क्षत्रिय २ ही हैं शूर्यवंशी व चन्द्रवंशी।दोनों की वंशावली पढ़ लीजिए।आज की कोनकोन सी जातियां इसमें आती हैं।वाकी सब बाद में अग्नि की साक्षी मानकर अध्र्य जातियों को क्षत्रिय धर्म निर्वाह करने के लिए कहा गया।परन्तु देखो असली क्षत्रियों में से कई जातियां निकलकर अलग हो गयीं और जिन्हें बनाया गया था वे असली कहलाने लगे हैं।
Deleteसत्य वचन बन्धु
DeleteJanoliya kis caste m ate h
ReplyDeleteYe sb kya likha hai aane wali pidhi kya sikhegi kam se kam desh ke baare me sochob ab ye faltu ka padhenge 80% desh janta hi nahi hai gujjar kya hai hashne ka patra mt bano bhai
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