About Hatti/Hittite:महाराष्ट्रातील ‘हट्टीजन’ (पशुपालन करणारे धनगर-गवळी)








धनगर- चेदि वंश(हैहय/ हट्टी/कलचुरी):यादव साम्राज्य- चेदि वंश एवं कलचुरी राजवंश.
महाराष्ट्रातीलहट्टीजन’ (पशुपालन करणारे धनगर-गवळी)
In India, the Hittites were also known as Cedis or Chedis (pronounced Hatti or Khetti). Indian historians classify them as one of the oldest castes of the Yadavas. "The Cedis formed one of the most ancient tribes among the Ksatriyas (the aristocratic class made up of Hittites and Kassites) in early Vedic times. As early as the period of the Rigveda the Cedi kings had acquired great reknown... they were one of the leading powers in northern India in the great epic." (Yadavas Through the Ages, p. 90 by Dr.J.N.Singh Yadav)
Jerusalem was a Hittite (Indian hereditary leadership caste) city at the time of Abraham's death. In Genesis 23:4, Abraham asked the Jerusalem Hittites to sell him a burial plot.
About Hatti/Hittite/Hatkar/Dhangar people of India and there contribution to the modern world
http://history.knoji.com/interesting-facts-about-the-hitti…/
हट्टी शब्द का मतलब
क्षत्रिय को प्राकृत भाषा में खत्तिय कहा जाता हैI खत्तिय को पश्चिम यूरेशिया में भाषा बदलाव के कारण खट्टी/ हट्टी कहा गयाI जैसे कि यादव को जादौन/जादव कहा गयाI
धनगर- चेदि वंश(हैहय/ हट्टी/कलचुरी):यादव साम्राज्य- चेदि वंश एवं कलचुरी राजवंश
चेदि आर्यों का एक अतिप्राचीन वंश है। ऋग्वेद की एक दानस्तुति में इनके एक अत्यंत शक्तिशाली नरेश कशु का उल्लेख है। ऋग्वेदकाल में येसंभवत: यमुना और विंध्य के बीच बसे हुए थे।
पुराणों में वर्णित परंपरागत इतिहास के अनुसार यादवों के नरेश विदर्भ के तीन पुत्रों में से द्वितीय कैशिक चेदि का राजा हुआ और उसने चेदि शाखा की स्थापना की।
दक्षिण भारत में कलचुरी शासन:
कलचुरियों ने दक्षिण भारत से कल्याणी के चालुक्यों को उखाड़ फेंका और एक विशाल साम्राज्य की स्थापन किये | उन्होंने मंगलवेदा को अपनी राजधानी बनाई |
कलचुरीकल्ली और चुरी शब्द के मेल से बना है | कल्ली का अर्थ होता हैलम्बी मूंछे एवं चुरी का अर्थ होता हैतेज नाख़ून/ चाकू | विधर्मी ब्राह्मण परशुराम द्वारा हैहय यादवों की राजधानी महिष्मती को इक्कीस बार नष्ट करने पर, कार्तवीर्य अर्जुन के वंशजों ने आस-पास के वनों में शरण ले लिया | जंगलों में रहने के कारण उनके मूंछ, दाढ़ी और नाख़ून काफी लम्बे हो गए थे | इसलिए उनके वंशज कलचुरी कहलाये |
आजसे चार हजार वर्ष पूर्व आज के पश्चिम यूरेशिया के तुर्की (एशिया माइनर/ प्राचीन आनातोलिया ) देश में भारत के हट्टी, गुर्जर और पाल-मेष पाल(An Aristocratic Class) द्वारा हट्टी /हिटाइट साम्राज्य के स्थापना का इतिहास.History of Foundation of Hatti/Hittite Empire(BCE 2700-1000) by Hatti shepherds of India in Turkey(Asia Minor/Ancient Anatolia).Aristocrats is a broad term that usually refers to people that a particular social order considers the highest social class of that society
हट्टी कैस्पियन सागर (कश्यप सागर) और काला समुद्र के बीच रेहनेवाले मेष पाल थेI मेषपालन और खेती उनका मुख्य व्यवसाय थाI उन्होंने मेष की ऊन (Wool/मराठी-लोकर) से बने कपडे, कंबल(Blanket) और खेती के आधार से मेसोपोटामिया के सुमेर शहर से व्यापार बढायाI प्राचीन मेसोपोटामिया के क्षेत्र मे अभी भारतीय ऊन के सबूत मिले है। जो धनगर मेषपालन करते हैं उन्हें हटकर कहते है और जो ऊन से कंबल बनाते है उन्हें खूटेकर कहते हैI
उन्होंने लोह (Iron) को स्वर्ण (Gold) से पाच गुना मूल्यवान समझाI लोह और व्यापार से उन्हें आर्थिक समृद्धि गयीI उन्होंने पहाड़ी पर 2500 मे हतुसा शहर की स्थापना
ऊन (Wool/मराठी-लोकर) मूलतः रेशेदार (तंतुमय) प्रोटीन है जो विशेष प्रकार की त्वचा की कोशिकाओं से निकलता है। ऊन पालतू भेड़ों से प्राप्त किया जाता है, किन्तु बकरी,याक आदि अन्य जन्तुओं के बालों से भी ऊन बनाया जा सकता है। कपास के बाद ऊन का सर्वाधिक महत्व है। इसके रेशे उष्मा के कुचालक होते हैं।
महाराष्ट्र की धनगर जाति में दक्षिण एशियाई(Proto Asians/ भारतीय) पुरुष और पश्चिम यूरेशियन एवं यूरोपियन महिलाओं का प्रमाण ज्यादा हैI पश्चिम यूरेशिया में हट्टी(Hatti/Hittite) और भारत में मौर्य, सातवाहन, गुर्जर प्रतिहार ,राष्ट्रकुट, विजयनगर इत्यादि बड़े बड़े साम्राज्य के निर्माता दक्षिण एशियाई पुरुष ही हैI
मराठा पुरुषों के डीएनए रिपोर्ट में पश्चिम यूरेशियन पुरुष(Anatolian J2 lineage related to neolithic Turkish farmers/ अनतोलियन/तुर्क किसान) और दक्षिण एशियाइ महिला (mtDNA M related to paleolithic females) प्रमाण ज्यादा हैI डीएनए रिपोर्ट से ये पता चलता है कि मराठा और अनतोलियन/तुर्क (Anatolian Turkish farmers) किसानो का संयोग हुआ हैI कायस्थ के डीएनए रिपोर्ट में भी अनतोलियन/तुर्क किसान पुरुषों का प्रमाण ज्यादा हैI
लॅटिन भाषेची कुळकथाही ग्रीकप्रमाणेच भारतातून प्रारंभ होते. ऋग्वेदात वर्णन केलेल्या सुमारे साडेसहा हजार वर्षांपूर्वी झालेल्यादाशराज्ञयुध्दापासून पाच हजार वर्षांपूर्वीच्या (कौरव-पांडवांच्या) भारतीय युध्दापर्यंतच्या दीर्घ कालावधीत अतिप्राचीन भारतीय जनसमूह पश्चिमेकडे देशांतर करीत राहिले; त्यात सुमारे चार हजार वर्षांपूर्वी हिटाइट, कॅसाइट, हुराइट नावाचे जनसमूह आता मुस्लीम असलेल्या मध्यपूर्वेत पोहोचले तेथे त्यांनी मेसोपोटेमिया प्रदेशात वैदिक संस्कृतींचे एक विस्तीर्ण संकुल भरभराटीला आणले, हे पाश्चिमात्य इतिहासकारांनीही मान्य केले आहे. या भारतीय समूहांनी आपापली राज्ये-साम्राज्ये उभारली, त्यात हिटाइट लोक प्रमुख होते. हट्टी/खट्टी या तत्कालीन शब्दांपासूनहिटाइटहा इंग्रजी शब्द निघाला आहे, खट्टीशब्दक्षत्रियपासून निघाला आहे. सुमारे चार हजार वर्षांपूर्वी या हिटाइटांचे विस्तीर्ण साम्राज्य मध्यपूर्वेत पसरले होते, त्यांची हिटाइट भाषा संस्कृतोद्भव होती, आणि इंद्र, मित्र, वरुण . वैदिक देव त्यांचेही देव होते.
महाराष्ट्राचे मूळ नाव 'मरहट्ट' असून तिथे हट्टी किंवा हाट लोकांची वस्ती हट्टी होती. शं. जोशी यांच्या मते यांच्या मते "महाराष्ट्र या देशाचे मूळ नाव मरहट्ट असे होते. ते नाव कानडी आहे." मर हा कानडी शब्द असून त्याचा अर्थ झाड असा आहे.आणि हट्ट म्हणजेच लढाऊ मेषपालक जनसमूह. दंडकारण्यातील या झाडी मंडळासच पुढे मरहठ असे नाव मिळाले असा भावार्थ. (मर= झाड, हट्टी= प्रदेश). कानडीतील नाचिरजिय, मंगराजनिघंटु वगैरे जुन्या शब्दकोशात 'हट्टीकार' म्हणजे गवळी असा अर्थ दिलेला आहे.
तेव्हा झाडीत राहणारे हट्टी ते मरहट्टे लोक होत आणि त्यांच्यावरून त्यांच्या भाषेला नाव हे स्पष्ट आहे.जोशी यांनी हट्टी- हटक जनांचा ईश्वर तो हाटकेश्वर असा समास सोडविला आहे.मरहट्टाच्या नावाची ओळख ज्यात स्पष्ट दिसते अशा मऱ्हाटी > मराठी या नावने ते ओळखले जाऊ लागले.
महाराष्ट्र-महारठ्ठ-रठ्ठ या नामचिकित्सेवरून या प्रदेशातरट्टलोकांनी मूळ वसाहत केली असे दिसते. ‘मरहट्टहा शब्द कानडी असूनझाडीमंडळअसा प्रदेशवाचक एक अर्थ झाडीमंडळातीलहट्टीजन’ (पशुपालन करणारे धनगर-गवळी) असा दुसरा लोकवाचक अर्थ होता.



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