चीनी यात्री फाहियान द्वारा भारत का वर्णन(छठी शताब्दी)
चीनी यात्री फाहियान द्वारा भारत का वर्णन(छठी शताब्दी)
सम्राट यशोधर्मन्( विक्रमादित्य) के समय चीनी यात्री फाहियान भारत आया था।
उसने भारत के बारे में लिखा है-
“भारत में इस समय सुख-संपत्ति पूर्ण रूप से है। सदाचार उसके निवासियों का धर्म है। धार्मिक सत्रों में निर्धनों को अन्न बांटे जाते हैं। मुफ्त इलाज करने वाले औषधालय जगह-जगह स्थापित हैं। अपराध बहुत ही कम होते हैं। राज्य कर्मचारियों को ठीक समय पर वेतन मिलता है। रिश्वत लेना पाप समझा जाता है। समस्त देश में मांस-मदिरा का प्रचार बहुत ही थोड़ा है। प्याज और लहसुन खाना अच्छा नहीं समझा जाता। बौद्ध भिक्षुओं के खान-पान का प्रबन्ध धनिकों की ओर से होता है। डकैतियां और चोरियां भी नहीं होती हैं। प्राण-दण्ड किसी को भी नहीं दिया जाता। कठोर दण्ड देते समय पंचायत से राय ली जाती है। सिक्के थोड़े हैं, कौड़ियों का भी चलन है। लोग इतने ईमानदार हैं कि ताले नही लगाने पड़ते।”
सम्राट यशोधर्मन्( विक्रमादित्य) के समय चीनी यात्री फाहियान भारत आया था।
उसने भारत के बारे में लिखा है-
“भारत में इस समय सुख-संपत्ति पूर्ण रूप से है। सदाचार उसके निवासियों का धर्म है। धार्मिक सत्रों में निर्धनों को अन्न बांटे जाते हैं। मुफ्त इलाज करने वाले औषधालय जगह-जगह स्थापित हैं। अपराध बहुत ही कम होते हैं। राज्य कर्मचारियों को ठीक समय पर वेतन मिलता है। रिश्वत लेना पाप समझा जाता है। समस्त देश में मांस-मदिरा का प्रचार बहुत ही थोड़ा है। प्याज और लहसुन खाना अच्छा नहीं समझा जाता। बौद्ध भिक्षुओं के खान-पान का प्रबन्ध धनिकों की ओर से होता है। डकैतियां और चोरियां भी नहीं होती हैं। प्राण-दण्ड किसी को भी नहीं दिया जाता। कठोर दण्ड देते समय पंचायत से राय ली जाती है। सिक्के थोड़े हैं, कौड़ियों का भी चलन है। लोग इतने ईमानदार हैं कि ताले नही लगाने पड़ते।”
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